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बेरोजगारी एक अभिशाप
मैं हूं अशोक कुमार और आपका हमारे ब्लॉग कबीर क्लासेज 58 में स्वागत करता हूं
आज हम वर्तमान समय की अत्यंत ज्वलंत समस्या बेरोजगारी पर विचार विमर्श करेंगे जो कोरोना महामारी के कारण अपने विकराल रूप को धारण कर चुकी है।
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बेरोजगारी किसी भी देश की आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक प्रगति में सबसे बड़ी बाधक है।

बेरोजगारी का अर्थ- किसी कार्य को करने में सक्षम एवं इच्छुक व्यक्ति कार्य करने के लिए प्रचलित मजदूरी दर पर कार्य करने को तत्पर होने के बावजूद उसे कार्य प्राप्त नहीं होना। कार्य करने में असक्षम, अनिच्छुक और परजीवी यह बेरोजगारी की श्रेणी में नहीं आते।

बेरोजगारी एक अभिशाप- बेरोजगारी किसी भी देश समाज के लिए अभिशाप से कम नहीं है क्योंकि बेरोजगारी से एक तरफ पर निर्धनता भूखमरी तथा मानसिक अशांति फैलती है तो दूसरी तरफ युवाओं, मजदूरों आदि में आक्रोश तथा अनुशासनहीनता फैलती है जिस कारण यह वर्ग चोरी, डकैती, हिंसा, अपहरण और जघन्य अपराध तथा आत्महत्या जैसे कदम उठाते हैं जिनसे समस्याएं और भी ज्यादा विकराल हो जाती हैं।
बेरोजगारी एक जहरीली बेल के समान है जो निरंतर बढ़ती ही जा रही है और इसके बढ़ने से संपूर्ण देश या संसार का आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक वातावरण दूषित हो जाता है और देश समाज के सामने भयंकर समस्याएं खड़ी हो जाती हैं।
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बेरोजगारी एक अभिशाप


बेरोजगारी के कारण-
1. रोजगारोन्मुखी सरकारी नीति का अभाव- वर्तमान समय में सरकार की नीतियां इस तरीके की है कि वह समाज में रोजगार पैदा नहीं कर रही है इन दोषपूर्ण आर्थिक नीतियों के कारण रोजगार के अवसर निरंतर कम हो रहे है और इन सब से बेरोजगारी में वृद्धि होती है।
सरकार की उपेक्षापूर्ण नीतियों के कारण आर्थिक गतिविधियां हतोत्साहित होती है।
2. शिक्षा की दोषपूर्ण व्यवस्था- वर्तमान शिक्षा व्यवस्था युवा पीढ़ी को रोजगार में दक्ष नहीं बना करके, उसे बेरोजगारों की श्रेणी में खड़ा करती है।
वर्तमान समय की शिक्षा पद्धति ऐसी है कि वह सिर्फ डिग्री बांटने का कार्य करती है डिग्री लेकर बेरोजगार व्यक्ति रोजगार यानी नौकरी के लिए एक दर-दर भटकता रहता है और उसके अंदर निराशा का वातावरण घर कर जाता है जब उसे कहीं कार्य प्राप्त नहीं होता। इससे युवाओं के अंदर भटकाव पैदा होता है।
हमारे देश में शिक्षित बेरोजगारों की संख्या ज्यादा है जो किसी रोजगारोन्मुखी कार्य से प्रशिक्षित नहीं है।
3. आधारभूत संरचना अभाव- भारत जैसे अल्प विकसित देशों में आधारभूत ढांचा कमजोर होता है उसका समुचित विकास नहीं हो पाता, जिससे कृषि सेवा और औद्योगिक उत्पादन में समुचित प्रगति नहीं हो पाती है जिस कारण रोजगार के अवसर सीमित हो जाते हैं।
4. जनसंख्या में तीव्र वृद्धि- भारत में विगत दशकों में जनसंख्या में तीव्र गति से वृद्धि हुई है जिस कारण बेरोजगारी की दर में वृद्धि हुई है। बढ़ती हुई जनसंख्या के अनुसार रोजगार के अवसर सीमित हो रहे हैं।
5. अर्थव्यवस्था में पूंजीवाद का बढ़ता प्रभाव- विश्व में सभी अर्थव्यवस्था में पूंजीवाद का प्रभाव बढ़ता जा रहा है जिनका उद्देश्य कम लागत में अधिक मुनाफा कमाना। जिससे श्रमिकों का कम से कम उपयोग होता है इस कारण रोजगार के अवसर घटते जाते हैं जिससे बेरोजगारी में वृद्धि होती है।
6. लघु एवं कुटीर उद्योगों का पतन- वर्तमान पूंजीवादी अर्थव्यवस्था और आधुनिक जीवन पद्धति तथा सरकारी लालफीताशाही तथा अपेक्षा पूर्ण व्यवहार से लघु एवं कुटीर उद्योग धंधों को लुप्त प्राय बना दिया है जिससे ग्रामीण जनसंख्या बेरोजगार हो गई और शहरों के ऊपर दबाव में वृद्धि हुई।
7. कोरोना का प्रभाव- कोरोना ने देश की अर्थव्यवस्था को पूरी तरीके से तोड़ दिया जिससे बेरोजगारी की समस्या विकराल बनती जा रही है 17 मई को समाप्त हुए सप्ताह में देश में बेरोजगारी दर 24 फ़ीसदी तक पहुंच गई है इसी प्रकार विश्व में प्रत्येक देश में बेरोजगारी की दर में वृद्धि हुई है जैसे अमेरिका में भी बेरोजगारी की दर 18% से ऊपर पहुंच चुकी है।
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बेरोजगारी को दूर करने के प्रयास-
बेरोजगारी को योजनाबद्ध तरीके से स्टेप बाय स्टेप दूर किया जा सकता है इसके लिए निम्नलिखित प्रयास किए जाए तो उनसे बेहतर नतीजे प्राप्त होंगे-
1. जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करके रोजगार के अवसरों को बढ़ाना।
2. कृषि पद्धति एवं सहायक गतिविधियों का विकास करना।
3. रोजगार उन्मुख शिक्षा पद्धति का विकास करना।
4. रोजगार दफ्तरों की स्थापना करके रोजगार के अवसरों को बढ़ाना।
5. कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, विनिर्माण आदि क्षेत्रों में योजनाबद्ध तरीके से नियोजन करना।
6. अर्थव्यवस्था में आधारभूत ढांचे का विकास करके रोजगार के अवसरों को उपलब्ध करवाना।
7. रोजगार उन्मुख तकनीकी का विकास करना जिससे रोजगार के अवसरों में वृद्धि हो।
8. युवाओं को तकनीकी एवं कौशल विकास का प्रशिक्षण देकर, उन्हें रोजगार की योग्य बनाना।
9. कुटीर उद्योग धंधों को प्रोत्साहन देकर ग्रामीण स्तर पर रोजगार बढ़ाकर पलायन को रोकना।
10. स्वदेशी को अपनाना और आयात को नियंत्रित करके औद्योगिक विकास को बढ़ाकर रोजगार के नए अवसर उपलब्ध करवा कर।
सरकारी प्रयास-
सरकार बेरोजगारी दूर करने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है इसके लिए युवाओं के लिए नौकरी के अवसरों का सर्जन करने के साथ उनके स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध करवाने के कार्य प्रमुख प्राथमिकता से कार्य किए जा रहे।
1. प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना
2. कौशल विकास कार्यक्रम
3. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कानून (मनरेगा)
4. राष्ट्रीय आजीविका मिशन
5. मेक इन इंडिया एवं दीनदयाल उपाध्याय श्रमेव जयते कार्यक्रम
गैर सरकारी प्रयास-
विभिन्न गैर सरकारी संस्थाएं और संगठन सरकार के साथ मिलकर के या सरकार से अलग रहकर के लोगों के कौशल विकास और रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाने का कार्य कर रहे हैं।
संत रामपाल जी महाराज का योगदान-
वर्तमान समय में बेरोजगारी का सबसे प्रमुख कारण है कोरोना जैसी महा में भारी ऐसी बीमारी जिसे वर्तमान शासन व्यवस्था और विज्ञान नहीं रोक पा रही है जिसका इलाज विज्ञान में नहीं है नहीं वर्तमान शिक्षा पद्धति में है और अगर चिकित्सा पद्धति एक बीमारी का इलाज ढूंढ भी लेती है तो नई बीमारी उठ खड़ी होती है इन समस्याओं का समाधान तत्वदर्शी संत कर सकता है जिससे संसार भयानक महामारी से बचेगा उस से उस की बचत भी अधिक होगी तथा उसके रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे क्योंकि जैसे वर्तमान समय में लॉक डाउन के कारण अर्थव्यवस्था ठप है जिससे बेरोजगारी की दर में व्यापक उछाल देखने को मिल रहा है और भुखमरी की समस्या भी लोगों के सामने आ खड़ी हुई है।
संत रामपाल जी महाराज अपने तत्वज्ञान से लोगों का नैतिक स्तर उच्च कर रहे हैं जिससे उनमें भ्रष्टाचार हिंसा तोड़फोड़ अत्याचार नशा जैसी बुराइयां दूर हो रही है इससे बेरोजगारी के अंदर कमी आएगी और रोजगार के अवसरों की भी वृद्धि होगी।
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जबकि संत जी के आध्यात्मिक ज्ञान से उत्पादन के साधनों का या रोजगार के साधनों और आय का कुछ ही हाथों में संकेंद्रण नहीं होगा।

संत रामपाल जी महाराज अपने तत्वज्ञान के माध्यम से ताल ठोक कर कह रहे हैं की कोरोना क्या कोरोनावायरस कर महा मारियो का इलाज उनके आध्यात्मिक ज्ञान द्वारा संभव है।
संत रामपाल जी महाराज अपने ज्ञान द्वारा दहेज प्रथा मृत्यु भोज जैसी खर्चीली और कष्टकारी सामाजिक प्रथाओं को समाप्त कर रहे हैं तथा बिना किसी लेनदेन के 17 मिनट में विवाद द्वारा लोगों के आर्थिक पक्ष को मजबूत कर रहे हैं।
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बेरोजगारी को नियंत्रित करने के लिए ये कुछ चरणबद्ध उपाय हैं यह तभी फलदायक हो सकते हैं जब सरकार इसके लिए सही तरीके से प्रयास करें और युवा वर्ग भी अपनी जिम्मेदारी से नहीं भागे।
क्योंकि शिक्षित और युवा वर्ग आगे आकर के स्वयं इस पथ पर बढ़े और अन्य को भी प्रेरित करें क्योंकि सरकार इस क्षेत्र में उदासीन रहती है।
आध्यात्मिक तत्वज्ञान से भी सभी समस्याओं का समाधान संभव है।

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