history class 12 model paper 2021
history class 12 model paper 2021 solution
प्रस्तुत मॉडल पेपर राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अजमेर द्वारा जारी किया गया है। यहां पर हम इसका वर्णन उत्तर सहित किया गया। यह मॉडल पेपर प्रमाणिक और विश्वसनीय है।
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उच्च माध्यमिक परीक्षा माॅडल प्रश्न-पत्र 2021
इतिहास
समयः 3:15 घण्टे पूर्णाक: 80
परीक्षार्थियों के लिए सामान्य निर्देश:-
1. परीक्षार्थी सर्वप्रथम अपने प्रश्न पत्र पर नामांक अनिवार्यतः लिखें।
2. सभी प्रश्न करने अनिवार्य है।
3. प्रत्येक प्रश्न का उत्तर दी गई उत्तर पुस्तिका में ही लिखें।
4. जिन प्रश्नों में आन्तरिक खण्ड है उन सभी के उत्तर एक साथ ही लिखें।
5. प्रश्न पत्र के हिन्दी पर अंग्रेजी रूपान्तरण में किसी प्रकार की त्रुटि/अन्तर/विरोधाभास होने पर हिन्दी भाषा के प्रश्न को सही मानें।
6. प्रश्न का उत्तर लिखने से पूर्व प्रश्न का क्रमांक अवश्य लिखें।
6. प्रश्नों का अंकभार निम्नानुसार है।
7. प्रश्न संख्या - 24 एवं 25 के लिए प्रश्न पत्र के साथ संलग्न मान चित्र पृथक कर उत्तर अंकित कर उत्तर पुस्तिका के साथ संलग्न करें।
इतिहास मॉडल पेपर |
इतिहास
(खण्ड अ)
1. दिये गये बहुविकल्पी प्रश्नों ( I से X तक) के उत्तर उत्तर पुस्तिका में लिखें:-
प्रश्न I. यात्रियों का राजकुमार किसे कहा जाता है ? 1
(अ) ह्वेनसाँग (ब) इत्सिंग (स) फाह्यान (द) मेगस्थनीज
प्रश्न II. सिन्धु घाटी सभ्यता में विशाल गोदीवाड़ा का अवशेष निम्न में से कहाँ से प्राप्त हुआ ? 1
(अ) लोथल (ब) धौलावीरा (स) बनावली (द) रंगपुर
प्रश्न III. राजतरंगिणी के लेखक निम्न में से कौन हैं ? 1
(अ) विष्णुगुप्त (ब) बाणभट्ट (स) कल्हण (द) वाक्पति
प्रश्न IV. निम्न में से कौन “हर्षचरित” पुस्तक के रचियता थे ? 1
(अ) बाणभट्ट (ब) कौटिल्य (स) हर्ष (द) पद्मगुप्त
प्रश्न V. 'वेदों की ओर लौट चलो’ का नारा निम्न में से किसने दिया ? 1
(अ) स्वामी विवेकानन्द (ब) राजा राममोहन राय (स) स्वामी दयानन्द (द) केशवचन्द्र सेन
प्रश्न VI. सुभाष चन्द बोस का जन्म निम्न में से किस स्थान पर हुआ था ? 1
(अ) कटक (ब) टंकारा (स) कलकत्ता (द) मिदनापुर
उच्च माध्यमिक(12वीं) परीक्षा मॉडल प्रश्न पत्र 2021
इतिहास(HISTORY) का हल बोर्ड एग्जाम की दृष्टि से
खंड-अ
प्रश्न 1…………
उत्तर-
I- अ
II- अ
III- से
IV- अ
V- स
VI- अ
VII- ब
VIII- अ
IX- ब
X- अ
इनका समाधान वीडियो के रूप में देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।
प्रश्न 2……..
उत्तर- मुख्य रूप से प्रयाग प्रशस्ति में समुद्रगुप्त की विजयों का उल्लेख मिलता है।
प्रश्न 3………
उत्तर- मौर्य काल में जन कल्याण हेतु सुदर्शन झील का निर्माण चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल में हुआ।
प्रश्न 4………
उत्तर- चीनी यात्री फाह्यान गुप्त शासक चंद्रगुप्त द्वितीय के समय में भारत आया था।
प्रश्न 5……….
उत्तर- महाराणा प्रताप का जन्म कुंभलगढ़ दुर्ग में हुआ था।
प्रश्न 6……….
उत्तर- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष व्योमेश चंद्र बनर्जी थे।
प्रश्न 7………..
उत्तर- स्वराज्य शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग समाज सुधारक दयानंद सरस्वती ने किया था।
प्रश्न 8………..
उत्तर- करो या मरो का नारा भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान दिया गया था।
उत्तर- 10 मई 1857
प्रश्न 10………..
उत्तर- भूप सिंह
प्रश्न 11…………
उत्तर- राजा राममोहन राय
खंड-ब
प्रश्न 12……….
उत्तर- वर्तमान में पुरोहितों द्वारा निर्मित वंशावलियां या बहियां प्रामाणिक दस्तावेजी न्यायिक साक्ष्य के रूप में भी मान्य हैं। भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 के अनुसार वंशावलियां इत्यादि को सुसंगत न्यायिक तथ्य के रूप में स्वीकार किया गया है।
उत्तर- चाणक्य के अर्थशास्त्र की मुख्य विषय वस्तु
तत्कालीन राजप्रबंध, अर्थव्यवस्था, सामाजिक व धार्मिक जीवन की विस्तृत जानकारी मिलती है, चाणक्य ने इतिहास के अंतर्गत पुराण इतिवृत्त, आख्यान, उदाहरण, धर्म शास्त्र व अर्थशास्त्र को सम्मिलित किया है।
प्रश्न 14………..
उत्तर- धम्म के प्रतिपादन हेतु अशोक के व्यावहारिक उपाय-
- युद्ध की नीति का परित्याग।
- आमजन के दुख दर्द एवं उनकी आवश्यकताओं को समझा।
- सार्वजनिक हित के कार्य किए यथा परिवहन, सिंचाई, कुएं, सराय आदि।
- समान नागरिक आचार संहिता का प्रतिपादन किया।
प्रश्न 15…………
उत्तर- यदि मैं खानवा के युद्ध में राणा सांगा के स्थान पर होता तो निम्न त्रुटियों से बचने का प्रयास करता-
- बयाना युद्ध के बाद बाबर को तैयारी का अवसर नहीं देता।
- युद्ध में परंपरागत हथियारों तीर, कमान, भाले व तलवारों की जगह उन्नत हथियारों का प्रयोग करता।
प्रश्न 16……….
उत्तर- राजा राममोहन राय के धार्मिक सुधारों के प्रयास-
- निरर्थक अनुष्ठानों एवं आडंबरों का घोर विरोध किया।
- यदि कोई दर्शन परंपरा आदि तर्क की कसौटी पर खरा न उतरे और वह समाज के लिए उपयोगी ना हो तो मनुष्य को उन्हें त्यागने से हिचकना नहीं चाहिए।
प्रश्न 17……..
उत्तर- मत्स्य संघ का व्रत राजस्थान में विलय-
- 10 मई 1949 को मत्स्य संघ के शासकों को दिल्ली बुलाकर राजस्थान या उत्तर प्रदेश में विलय की स्थिति को स्पष्ट करना।
- शंकरराव देव समिति की सिफारिशों के अनुसार भरतपुर धौलपुर सहित चारों ही राज्यों का 15 मई 1949 को वृहत राजस्थान में विलय।
प्रश्न 18…………..
उत्तर- निम्न आधार पर मैं कह सकता हूं कि राजस्थान में 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में यदि देसी रियासतों के शासकों का सहयोग होता तो परिणाम भिन्न होता-
- अंग्रेजों के लिए दमन करना कठिन हो जाता।
- उखड़ी हुई ब्रिटिश सत्ता की पुनर्स्थापना नहीं हो पाती।
उत्तर- मैं विश्व की दूसरी सबसे लंबी दीवार देखने के लिए कुंभलगढ़ दुर्ग राजसमंद का भ्रमण करूंगा।
मैं विष्णु ध्वज देखने के लिए चित्तौड़गढ़ दुर्ग का भ्रमण करूंगा।
खंड-स
उत्तर- सिंधु कालीन सभ्यता के धार्मिक जीवन की उपलब्धियां जो आज भी प्रचलित है-
- जी हां मैं इस कथन से पूर्णतया सहमत हूं कि सिंधु सभ्यता का धर्म आज भी भारतीय जीवन में परिलक्षित होता हैं।
- वृक्ष पूजा- वृक्षों के भीतर रहने वाली आत्मा के रूप में वृक्ष पूजा का सेंधव काल में प्रचलन था। एक मोहर में देवता को दो पीपल के वृक्षों के मध्य दिखाया गया है जिसकी सात मानव आकृतियां पूजा कर रही है। वर्तमान समय में भी समाज में नीम, पीपल आदि वृक्षों की पूजा प्रचलित है।
- मातृ देवी की उपासना- हड़प्पा से प्राप्त एक मूर्ति के गर्भ से एक पौधा निकलता हुआ है जो संभवतया पृथ्वी माता का रूप है। जो आज भी हमारे जीवन में देखने को मिलता है हम पृथ्वी की माता के रूप में उपासना करते हैं।
- पशुपतिनाथ की कल्पना- सिंधु घाटी से प्राप्त है इस नंबर पर एक पुरुष आकृति पद्मासन में बैठी है जिसे आध शिव बताया जाता है वर्तमान समाज में भी शिव पूजा का प्रचलन है।
- अन्य पूजाएं- सेंधव निवासी अपने धार्मिक जीवन में पशु पूजा, नाग पूजा, जल पूजा, मूर्ति पूजा, लिंग पूजा, तप-योग की परंपरा में विश्वास करते थे यह पूजा पद्धतियां आज भी हमारे धार्मिक जीवन में समाहित हैं।
उत्तर- तराइन के द्वितीय युद्ध में पृथ्वीराज चौहान की राज्य के प्रमुख कारण-
- पृथ्वीराज चौहान में राजनीतिक दूरदर्शिता व कूटनीति का अभाव था।
- 1178 में गोरी के गुजरात आक्रमण के समय पृथ्वीराज चौहान ने गुजरात के शासक भीमदेव द्वितीय की सहायता न करके एक भूल की थी।
- तराइन के प्रथम युद्ध में पराजित होकर भागती तुर्क सेना का पीछा ना करके उसे सुरक्षित वापस जाने देना पृथ्वीराज चौहान की एक भयंकर भूल थी।
- संयोगिता के साथ विवाह करने के बाद उसने राज कार्यों की अपेक्षा कर अपना जीवन विलासिता में व्यतीत करना प्रारंभ कर दिया था। जो उसकी पराजय का कारण बना।
प्रश्न 22……….
उत्तर- अर्जुन लाल सेठी का क्रांतिकारी के रूप में योगदान-
- प्रारंभिक जीवन- अर्जुन लाल सेठी का जन्म 1880 जयपुर में हुआ। इन्होंने चौमू ठिकाने में कामदार के पद पर कार्य किया, परंतु देशभक्ति की भावना के कारण अपने पद से त्यागपत्र दे दिया।
- जैन शिक्षा संस्थानों की स्थापना- अर्जुन लाल सेठी ने 1986 में जैन प्रचारक शिक्षा समिति की स्थापना की जिसके तत्वाधान में जैन वर्धमान पाठशाला स्थापित की गई। धीरे-धीरे वर्धमान विद्यालय क्रांतिकारियों का प्रशिक्षण केंद्र बन गया।
- स्वदेशी आंदोलन में भागीदारी- अर्जुन लाल सेठी ने बंगाल के स्वदेशी आंदोलन में भी सक्रिय भाग लिया।
- क्रांतिकारी गतिविधियों का संचालन- दिसंबर 1912 का लॉर्ड हार्डिंग बम कांड की रूपरेखा सेठी जी ने ही बनाई थी। और इस घटना मुख्य आरोपी जोरावर सिंह बारहठ सेठी जी के ही शिष्य थे।
20 मार्च 1913 के आरा हत्याकांड के भी सभी आरोपी सेठी जी के घनिष्ठ थे।
काकोरी कांड के मुख्य आरोपी अशफाक उल्ला खान को सेठी जी ने ही राजस्थान में छुपाया था।
- बंदी जीवन- सेठी जी लंबे समय तक आरा हत्याकांड व दिल्ली षड्यंत्र के आरोप में नजरबंद रहे। बंदी बनाकर उन्हें वेल्लूर भेजा गया, जहां से वे 1919 में रिहा हुए।
- इस प्रकार राजपूताना की क्रांतिकारी गतिविधियों में सेठी जी का अभूतपूर्व योगदान था।
इस मॉडल पेपर को हल के साथ वीडियो के माध्यम से देखने के लिए निम्न वीडियो पर क्लिक करें। पार्ट 2👇
प्रश्न 23..........
उत्तर- 1857 की क्रांति के मुख्य परिणाम-
- यद्यपि अट्ठारह सौ सत्तावन की क्रांति असफल रही, लेकिन इसके परिणाम अभूतपूर्व, व्यापक और स्थाई सिद्ध हुए। क्रांति ने अंग्रेजों की आंखें खोल दिया और इन्हें अपने प्रशासनिक, सैनिक व भारतीय रियासतों के प्रति नीति आदि में परिवर्तन के लिए मजबूर होना पड़ा।
1. कंपनी के शासन का अंत- 1 नवंबर 1857 ईसवी को महारानी विक्टोरिया की घोषणा पत्र के अनुसार भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन का अंत कर दिया गया और अब भारत का शासन प्रशासन सीधे ब्रिटिश सम्राट को सौंप दिया गया। गवर्नर जनरल का पद नाम गवर्नर जनरल एवं वायसराय कर दिया गया।
2. सेना का पुनर्गठन- अट्ठारह सौ सत्तावन की क्रांति का प्रारंभ सैनिक विद्रोह के रूप में हुआ था।
- 1861 ईसवी के पील कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर सेना में ब्रिटिश सैनिकों की संख्या बढ़ा दी गई।
- सेना और तोपखाने के मुख्य पद केवल यूरोपियों के लिए आरक्षित कर दिए।
3. भारतीय नरेशों के प्रति नीति में परिवर्तन- महारानी विक्टोरिया की घोषणा के अनुसार क्षेत्रों का सीमा विस्तार की नीति समाप्त कर दी गई।
- स्थानीय राजाओं के अधिकार, गौरव और सम्मान की रक्षा का विश्वास दिलाया गया।
- भारतीय शासकों को दत्तक पुत्र गोद लेने की अनुमति दी गई।
4. फूट डालो राज करो की नीति को बढ़ावा- अंग्रेजों ने हिंदुओं और मुसलमानों में फूट डालने का प्रयास किया।
- अंग्रेजों ने भारतीय समाज में सांप्रदायिकता, जातिवाद, क्षेत्रवाद आदि संकुचित प्रवृत्तियों को बढ़ावा दिया।
5. राष्ट्रीय आंदोलन को प्रोत्साहन- क्रांति के नायक कुंवर सिंह, लक्ष्मी बाई, तात्या टोपे, बहादुर शाह जफर, नाना साहब, रंगा जी बापू गुप्ते आदि स्वतंत्रता आंदोलन के अग्रदूत के रूप में प्रेरक बने।
खंड-द
प्रश्न 24……..
प्रश्न 25………
उत्तर- इन प्रश्नों के उत्तर देखने के लिए ऊपर दिए गए वीडियो पर क्लिक करें।
खंड-य
प्रश्न 26…………
उत्तर- प्राचीन भारत में स्थापत्य, मूर्ति एवं चित्रकला, साहित्य एवं विज्ञान आदि के क्षेत्र में अभूतपूर्व उन्नति हुई थी।
1.कला-
- गुप्तकालीन कला की प्रमुख विशेषताएं-
भारतीय करण, सौन्दर्याभिव्यक्ति, भाव चित्रण की प्रधानता, आध्यात्मिकता का अंकन, यथार्थवादीता की झलक, लावण्य व लालित्य का संयमित प्रदर्शन आदि।
-वास्तु कला- गुप्त काल में मंदिर वास्तु के विकास के साथ-साथ इसके शास्त्रीय नियमों का भी निर्धारण हुआ। गुप्तकालीन मंदिर नागर शैली के उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।
- गुप्तकालीन मंदिरों की प्रमुख विशेषताएं- आधार पीठिका, गर्भगृह, सभा मंडप, प्रदक्षिणा पथ, शिखर, अंतराल व द्वार पर गंगा यमुना की मूर्तियां।
- गुप्तकालीन प्रमुख मंदिर- तिगवा का विष्णु मंदिर, भूमरा का शिव मंदिर, देवगढ़ का दशावतार मंदिर, नाचना कुठार का पार्वती मंदिर, भीतरीगांव का लक्ष्मण मंदिर।
- मूर्तिकला- गुप्त काल में मथुरा, सारनाथ व पाटलिपुत्र मूर्तिकला के प्रमुख केंद्र थे। मूर्तियां सामान्यतः धातु, पत्थर व मिट्टी की बनाई जाती थी।
- मूर्तिकला की प्रमुख विशेषताएं- अलंकृत प्रभामंडल, आध्यात्मिकता, परिधानों की महत्ता, विशेष केशसज्जा, मुद्रा आसन, सरलता व भारतीयकरण।
- मूर्तिकला के प्रमुख उदाहरण- सुल्तानगंज की बुद्ध, मथुरा से महावीर, देवगढ़ व मथुरा की विष्णु, एरण व उदयगिरि की वराह मूर्तियां, शिव का अर्धनारीश्वर रूप।
- चित्रकला- गुप्त चित्रकला के सर्वोत्कृष्ट उदाहरण अजंता व ग्वालियर की बाघ गुफाओं से प्राप्त हुए।
- अजंता के चित्रों की विशेषताएं- रंगों की प्रभा, रेखाओं का लालित्य, विषय की विविधता, अभिव्यक्ति वह अभिव्यंजना कौशल है।
- अजंता की गुफा संख्या 16 में मरणासन्न राजकुमारी और गुफा संख्या 17 का माता व शिशु का चित्र सर्वोत्कृष्ट है। अजंता के चित्र में प्राकृतिक सौंदर्य, बुधवा बोधिसत्व तथा जातक ग्रंथों के वर्णनात्मक दृश्यों का अंकन है।
- ग्वालियर के बाग में 9 गुफाएं मिली है इन गुफाओं के भीतीचित्र लौकिक जीवन से संबंधित हैं जो तत्कालीन वेशभूषा, केश विन्यास, प्रसाधन आदि की जानकारी देती हैं।
- गुप्तकालीन अन्य कला- संगीत, नाटक, अभिनय कला और नृत्य कला की आदित्य उन्नति हुई।
2. साहित्य-
- गुप्त काल में साहित्य की विभिन्न विधाओं का अभूतपूर्व विकास हुआ।
- साहित्य में संस्कृत भाषा एवं जटिल अलंकारिक शैली का विकास हुआ।
- प्रयाग एवं महरोली आदि पर शक्तियों की रचना हुई।
- प्रमुख साहित्यिक रचनाएं-
- नाटक- भास स्वप्नवासवदत्ता, शूद्रक का मृच्छकटिकम, विशाखदत्त का मुद्राराक्षस, कालिदास का अभिज्ञान शाकुंतलम्।
- महाकाव्य- कालिदास का रघुवंश, रामायण व महाभारत।
- दार्शनिक ग्रंथ- ईश्वर कृष्ण ने सांख्यकारिका, दिड़्नाग ने प्रमाण समुच्चय।
- व्याकरण ग्रंथ- अमर सिंह का अमरकोश व चंद्र गोविंद का चंद्र व्याकरण।
- प्राकृत ग्रंथ- वाकपति राज का गोडवहो व परिवर्तन का सेतु बंध।
- गुप्त काल में पुराणों, स्मृतियों को अंतिम रूप दिया गया तथा लौकिक साहित्य की विपुल रचना हुई।
- गुप्त काल में हिंदू विधियों का संकलन- गुप्त काल में मनुस्मृति के आधार पर नारद, बृहस्पति, कात्यायन, याकूब अली आदि स्मृतियों में कानूनों का संकलन हुआ।
प्राचीन भारत में यह गुप्तों की साहित्य में महत्वपूर्ण देन हैं।
- नालंदा विश्वविद्यालय- गुप्त सम्राट कुमारगुप्त के समय में निर्मित नालंदा विद्यालय शिक्षा का प्रमुख केंद्र था जहां देश विदेश से छात्र शिक्षा ग्रहण करने आते थे।
3. विज्ञान व प्रौद्योगिकी- गुप्त काल में विज्ञान व तकनीकी की विभिन्न शाखाओं यथा: गणित, ज्योतिष, खगोल, रसायन, भौतिक, आयुर्वेद, शल्य चिकित्सा आदि का विकास प्रमुख रूप से हुआ।
- गणित- आर्यभट्ट गुप्त काल का प्रसिद्ध गणितज्ञ था उसने 10 गीतिक सूत्र व आर्याष्टि शतक नाम ग्रंथों की रचना की। सुनने के विभिन्न प्रयोग तथा दशमलव पद्धति का विकास भी इस युग में हुआ।
- ज्योतिष विज्ञान- आर्यभट्ट, वराहमिहिर, ब्रह्मगुप्त आदि गुप्त काल के प्रमुख ज्योतिष विज्ञानी थे। आर्यभट्ट ने सर्वप्रथम बताया कि पृथ्वी गोल है एवं वह अपनी धुरी पर घूमती है तथा सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण का कारण चंद्रमा तथा पृथ्वी की छाया को बताया।
वराहमिहिर ने पंच सिद्धांतिका, वृहत संहिता व वृहत जातक ग्रंथों की रचना की तथा रोमन व पोलिश सिद्धांत का प्रतिपादन किया।
ब्रह्मगुप्त ने ब्रह्मस्फुट सिद्धांत व खण्ड खाद्यक नामक ग्रंथों की रचना की और गुरुत्वाकर्षण का सिद्धांत दिया।
- चिकित्सा विज्ञान- गुप्त काल में चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में पर्याप्त प्रगति हुई।
- प्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य वाग्भट्ट आयुर्वेद की प्रसिद्ध ग्रंथ अष्टांग हृदय की रचना की।
- धनवंतरी ने नवनीत कम नामक ग्रंथ की रचना की जिसमें विभिन्न रोगों के नुक्से और उपचार विधियों का उल्लेख किया गया है।
- पालकाव्य हस्तायुर्वेद नामक ग्रंथ में हाथियों के रोग और उपचार का वर्णन किया है।
-भौतिक, रसायन एवं धातु विज्ञान- गुप्त काल में रसायन विज्ञान भौतिक विज्ञान धातु विज्ञान के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हुई।
- कणाद ऋषि ने वैशेषिक दर्शन व अणु सिद्धांत का प्रतिपादन किया।
- नागार्जुन ने रसायन व धातु विज्ञान के क्षेत्र में कार्य कर के रासायनिक प्रयोगों से रोगों के निवारण को प्रमाणित किया तथा पारद का आविष्कार किया।
- महरोली का लोह स्तंभ गुप्तकालीन धातु कला का अद्भुत उदाहरण हैं।
इस प्रकार गुप्त काल के अंदर ज्ञान, विज्ञान, कला, साहित्य आदि सभी क्षेत्रों में अभूतपूर्व प्रगति देखने को मिलती है जो अपने आप में विशिष्ट हैं।
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