google-site-verification=INyWX4YITZAOUjfNBAJ8XpugnZwFjHbMwSrLWY3v6kk कृष्ण जन्माष्टमी - KABIR CLASSES 58 -->
कृष्ण जन्माष्टमी

कृष्ण जन्माष्टमी

कृष्ण जन्माष्टमी

हिंदू धर्म में विभिन्न देवी-देवताओं की उनके विशेष दिन के अनुसार विशेष रूप से आराधना की जाती है और उनका महात्यम महत्वपूर्ण माना जाता है।इनमें प्रमुख हैं श्री कृष्ण जी जी ने भगवान विष्णु जी का अवतार माना जाता है।
हिन्दू धर्म के प्रमुख ईष्ट देव भगवान हैं श्री कृष्ण जी।प्रभुप्रेमियों के दिलों में श्रीकृष्ण जी का विशेष स्थान है। विष्णु जी के अवतार कृष्ण जी श्रावण माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि को अत्याचारी कंस का विनाश करने के लिए पृथ्वी पर अवतरित हुए थे। इसलिए इस दिन को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। पूरे भारतवर्ष में श्रावण मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जा रही है। कोई कृष्ण को लल्ला, कान्हा, माखनचोर, सांवलिया, लड्डू गोपाल तो कोई कृष्णा कह कर प्रेम से पुकारता है। जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण की जन्म नगरी मथुरा भक्ति के रंगों में जीवंत हो जाती है।

जन्माष्टमी कितनी लाभदायक है

कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत करना बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है इस व्रत को करने से तीनों ताप समाप्त हो जाते हैं ऐसा माना जाता है।
भविष्य पुराण का वचन है- भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष में कृष्ण जन्माष्टमी व्रत को जो मनुष्य नहीं करता, वह क्रूर राक्षस होता है। एक मान्यता के अनुसार आधी रात के समय रोहिणी में जब कृष्णाष्टमी हो तो उसमें कृष्ण का अर्चन और पूजन करने से तीन जन्मों के पापों का नाश होता है।
स्कन्द पुराण के मतानुसार जो भी व्यक्ति जानकर भी कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत नहीं करता, वह मनुष्य जंगल में सर्प और व्याघ्र होता है
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
janmashtami

लेकिन हम आध्यात्मिक की दृष्टि से और श्री कृष्ण जी के जीवन काल पर दृष्टि डालें, तो हमें देखने को मिलता है कि वह स्वयं के कर्मों के फल को भी काट नहीं सके। जैसे कि श्री कृष्ण को विष्णु जी का अवतार माना जाता है और श्री विष्णु जी राम अवतार में जब बाली को ओट लेकर के मारा था। उसका बदला श्री कृष्ण अवतार के समय उन्हें चुकाना पड़ा अर्थात बाली वाली आत्मा शिकारी बन कर के श्री कृष्ण जी के जीवन का अंत किया था और भी बहुत सारे उदाहरण मिलते हैं जिससे यह सिद्ध होता है कि श्री कृष्ण जी स्वयं अपने कर्मों के बंधनों को नहीं काट सकते। तो फिर वह उन उपासकों के बंधनों को कैसे काटेंगे। जो केवल व्रत उपवास या श्री कृष्ण जी की झांकी लगा देना या उनकी रासलीला करना आदि के माध्यम से अपने मानव जीवन का कल्याण करवाना चाहते हैं। क्योंकि जो यह बातें कह रहे हैं और श्रीकृष्ण की भक्ति के नाम पर कर रहे हैं। जिनका उल्लेख हमारे पवित्र ग्रंथों में नहीं है और नहीं श्री कृष्ण जी ने ऐसा करने को कहा था इस कारण यह सारी क्रियाएं व्यर्थ है। यह पवित्र गीता जी के अनुसार शास्त्र विरुद्ध क्रियाएं हैं।

वास्तविक भक्ति कौन सी है

अगर आप कर्मों के बंधन से मुक्त होना चाहते हो और अपनी सारी समस्याओं का समाधान चाहते हो तथा अपना मोक्ष भी करवाना चाहते हो, तो आपको सत भक्ति ग्रहण करनी होगी और यह सतभक्ति संत रामपाल जी महाराज प्रदान कर रहे हैं। जो हमारे सभी शास्त्रों से प्रमाणित है।
प्रमाण के लिए देखें साधना टीवी रोज रात्रि 7:30 बजे से।
अधिक जानकारी के लिए Satlok Ashram Youtube चैनल पर Visit करें
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