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Kabir Divine's manifest day

Kabir Divine's manifest day

परमात्मा कबीर का कलयुग में अवतरण

पूर्ण परमात्मा कबीर है जो किसी मां के गर्भ से जन्म नहीं लेता सशरीर हर युग में आते हैं और सशरीर ही अपने निज धाम सतलोक को लौट जाते हैं । कलयुग में पूर्ण परमात्मा कबीर के प्रकट होने, उनकी परवरिश होने, उनका नामकरण तथा काशी के लोगों द्वारा उनको देखने आने आदि बिंदुओं पर चर्चा इस ब्लॉग में करेंगे।

नमस्कार मित्रों मैं हूं अशोक कुमार आपका मेरे ब्लॉग कबीर क्लासेस 58 में स्वागत है।

कबीर साहेब प्रकट दिवस

 काशी में एक लहरतारा तालाब था। गंगा नदी का जल लहरों के द्वारा नीची पटरी के ऊपर से उछल कर एक सरोवर में आता था। इसलिए उस सरोवर का नाम लहरतारा पड़ा। उस तालाब में बड़े-2 कमल के फूल उगे हुए थे। नीरू-नीमा(नि:सन्तान दम्पत्ति थे) ज्येष्ठ मास की शुक्ल पूर्णमासी विक्रमी संवत् 1455 (सन् 1398) सोमवार को ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के लिए गए हुए थे।
कबीर परमेश्वर जी काशी के लहरतारा तालाब पर अपने निज धाम सतलोक से चलकर आए और कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए। इस लीला को ऋषि अष्टानन्द जी ने आंखों देखा। वहाँ से नीरू-नीमा परमेश्वर कबीर जी को अपने घर ले आये।
गरीब दास जी ने अपनी वाणी में बताया कि
गरीब, काशीपुरी कस्त किया, उतरे अधर उधार।
मोमन कूं मुजरा हुआ, जंगल में दीदार।।

स्वामी रामानंद जी द्वारा अष्ट आनंद जी की समस्या का समाधान करना

स्वामी रामानंद जी ने अष्टानन्द जी से कहा, जब कोई अवतारी शक्ति पृथ्वी पर लीला करने आती है तो ऐसी घटना होती है।

नीमा द्वारा शिशु रूप परमेश्वर को लाड प्यार करना

जिसका वर्णन गरीबदास जी अपनी वाणी में करते हैं-
गरीब, गोद लिया मुख चूम करि, हेम रूप झलकंत।
जगर मगर काया करै, दमकै पदम् अनंत।।
जब परमेश्वर कबीर साहेब धरती पर सशरीर अवतरित हुए और पुण्यकर्मी दंपत्ति ने उनको गोद में लिया तो उनके शरीर की शोभा अद्भुत ही थी।

बालक रूप में परमात्मा कबीर साहेब को नीरू नीमा द्वारा घर लाना

बालक रूप में कबीर परमात्मा को लेकर जब नीरू तथा नीमा अपने घर जुलाहा मोहल्ला आए। जिस भी नर व नारी ने नवजात शिशु रूप में परमेश्वर कबीर जी को देखा वह देखता ही रह गया। परमेश्वर का शरीर अति सुन्दर था। आँख जैसे कमल का फूल होए, घुँघराले बाल, लम्बे हाथ, लम्बी-2 अँगुलियाँ, शरीर से मानो नूर झलक रहा हो। पूरी काशी नगरी में ऐसा अद्धभुत बालक नहीं था।

कबीर परमात्मा को देखने के लिए लोगों का आना

जब कबीर परमेश्वर काशी में शिशु रूप में प्रकट हुए थे तब पूरी काशी परमेश्वर कबीर जी के बालक रूप को देखने को उमड़ पड़ी। स्त्री-पुरूष झुण्ड के झुण्ड बना कर मंगल गान गाते हुए उनको देखने आए।

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शिशु रूप में परमात्मा के बारे में लोगों के विचार

कबीर साहेब जी को नवजात शिशु रूप में देखकर जुलाहा कॉलोनी के लोग कह रहे थे कि बालक की आंखें जैसे कमल का फूल हों, लंबे हाथ, गोरा वर्ण। शरीर से मानो नूर झलक रहा हो।
बच्चे का शरीर सफेद बर्फ की तरह चमक रहा था। बालक को देखने के लिए ऊपर से सूक्ष्म रूप में देवता भी आए।
 पूरी काशी नगरी में ऐसा अद्भुत बालक नहीं था। उनको देखकर कोई कह रहा था कि यह बालक तो कोई देवता का अवतार है। कोई कह रहा था यह तो साक्षात विष्णु जी ही आए लगते हैं। कोई कह रहा था यह भगवान शिव ही अपनी काशी को कृतार्थ करने को उत्पन्न हुए हैं।

गरीबदास जी अपनी वाणी में कहते हैं कि

1. गरीब दूनी कहै योह देव है, देव कहत हैं ईश।
ईश कहै पारब्रह्म है, पूरण बीसवे बीस।।
अर्थात कबीर परमेश्वर के शिशु रूप को देखकर काशी के लोग कह रहे थे की ये तो कोई देवता का अवतार है, देवता कह रहे थे कि यह स्वयं ईश्वर है और ईश्वर कहते हैं कि ये स्वयं पूर्ण ब्रह्म आये हैं पृथ्वी पर।

2. गरीब ,काशी उमटी गुल भया, मोमन का घर घेर।
कोई कहै ब्रह्मा विष्णु हैं, कोई कहै इन्द्र कुबेर।।
पूरी काशी परमेश्वर कबीर जी के बालक रूप को देखने को उमड़ पड़ी। बच्चे को देखकर कोई कह रहा है था कि ये बालक ब्रह्मा का अवतार है कोई कह रहा था साक्षात् विष्णु भगवान आये हैं, कोई इन्द्र कुबेर कह रहा था।


काजी द्वारा कबीर परमात्मा का नाम रखने आना

जब काजी कुरान लेकर शिशु रूप कबीर परमेश्वर का नामंकन करने गए तब कुरान शरीफ खोली तो उसमें सर्व अक्षर कबीर-कबीर-कबीर-कबीर हो गए।
काजी कबीर जैसा नाम को एक जुलाहा के बच्चे को नहीं रखना चाहते थे।
कबीर परमेश्वर शिशु रूप में बोले मैं कबीर अल्लाह अर्थात् अल्लाहु अकबर, हूँ। मेरा नाम ‘‘कबीर’’ ही रखो।
काजी गये कुरान ले, धरि लड़के का नाम।
अक्षर अक्षर में फुरया, धन कबीर बलि जांव।।
सकल कुरान कबीर है, हरफ लिखे जो लेख।
काशी के काजी कहै, गई दीन की टेक।।

कबीर परमात्मा का प्रकट दिवस होता है जयंती नहीं

कबीर परमात्मा जब इस लोक में आते हैं तो उनकी परवरिश कुंवारी गायों के दूध से होती है

 शिशु रूप में प्रकट कबीर परमेश्वर जी ने 25 दिन तक कुछ नहीं खाया। लेकिन ऐसा स्वस्थ शरीर था जैसे प्रतिदिन 1 किलो दूध पीते हों। 25 दिन की आयु में कबीर साहेब जी ने लीला करके कहा मैं कुंवारी गाय का दूध पीता हूं। कबीर परमात्मा ने शिव जी से कहा कि कुंवारी गाय मंगवाओ, आप गाय पर थपकी मार देना फिर मेरे आशीर्वाद से कुंवारी गाय दूध देगी। नीरू एक बछिया लाया, गाय ने दूध दिया।
गरीब, अन ब्यावर कूं दूहत है, दूध दिया तत्काल
पीवै बालक ब्रह्मगति, तहां शिव भये दयाल।।

जिसका प्रमाण ऋग्वेद में भी मिलता-ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मंत्र 9 में प्रमाण है, कि पूर्ण परमात्मा अमर पुरुष जब लीला करता हुआ बालक रूप धारण करके स्वयं प्रकट होता है उस समय कुंवारी गाय अपने आप दूध देती है जिससे उस पूर्ण प्रभु की परवरिश होती है।

यह लीला केवल कबीर परमात्मा ही करते हैं।


कबीर परमात्मा का जन्म माँ के गर्भ से नहीं होता। वह स्वयं सतलोक से सशरीर आते हैं अपना तत्वज्ञान देने और मोक्ष प्रदान करने।
संत गरीबदास जी की वाणी है -
न सतगरु जननी जने, उनके मां न बाप।
पिंड ब्रह्मंड से अगम है, जहां न तीनों ताप।।
कबीर परमेश्वर का शरीर हाड़ मांस से बना नहीं है। वह अविनाशी परमात्मा हैं। कबीर परमात्मा जन्म-मृत्यु से परे हैं। वह सशरीर प्रकट हुए थे और सशरीर मगहर से अपने सतलोक गए थे।
हाड चाम लोहू नहीं मोरे, जाने सत्यनाम उपासी।
तारन तरन अभै पद दाता, मैं हूं कबीर अविनासी।।

संत रामपाल जी महाराज अपने सत्संगों के माध्यम से उस पूर्ण परमात्मा की जानकारी हमें प्रदान कर रहे हैं जो ऐसे ही चारों युगों में इस धरती पर आते हैं और अपने तत्वज्ञान का प्रचार करते हैं इन्होंने प्रमाण दे करके बताया कि वह पूर्ण परमात्मा कबीर हैं जो गर्भ में नहीं आता अर्थात वह अजन्मा और अविनाशी परमात्मा है।
पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब की भक्ति विधि संत रामपाल जी महाराज प्रदान कर रहे हैं, जिसे प्राप्त कर आप अपने निजधाम सतलोक को जा सकते हो, उनसे वास्तविक भक्ति ग्रहण करके अपना मानव जीवन सफल करें।
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