बेरोजगारी एक समस्या(berojgari ek samasya hai)
बेरोजगारी एक समस्या है
हाय
मैं हूं अशोक कुमार और आपका हमारे ब्लॉग कबीर क्लासेज 58 में स्वागत करता हूं।
आज हम वर्तमान समय की अत्यंत ज्वलंत समस्या बेरोजगारी के बारे में विचार विमर्श करेंगे।जिसके अंतर्गत बेरोजगारी का वर्तमान परिप्रेक्ष्य में निरूपण और इसके कारण प्रकार तथा इसके समाधान के विकल्पों का विस्तार पूर्ण विचार विमर्श करेंगे।
प्रस्तावना:-
वर्तमान समय में बेरोजगारी की समस्या संसार भर में व्याप्त है और इससे लगभग सभी देश पीड़ित है यानी कोई भी देश ऐसा नहीं है जो इस समस्या से मुक्त हो चाहे वह विकसित देश हो या अविकसित देश ।
बेरोजगारी के विभिन्न कारणों से होती है जिससे विशेषकर युवा वर्ग घोर निराशा से ग्रसित हो जाता है। इस विकट समस्या का निराकरण करना वर्तमान समय की एक प्रमुख समस्या है।बेरोजगारी किसी भी देश के विकास में प्रमुख बाधाओं में से एक है, भारत में भी बेरोजगारी एक अत्यंत गंभीर मुद्दा है। बेरोजगारी आर्थिक विकास के साथ-साथ व्यक्तिगत और पूरे समाज पर एक साथ कई प्रकार के नकारात्मक प्रभाव डालती हैं।
जिसका विवेचन हम विभिन्न बिंदुओं के माध्यम से करेंगे।
बेरोजगारी का अर्थ-
कोई व्यक्ति कार्य के योग्य एवं इच्छुक हो, लेकिन रोजगार प्राप्त करने में असफल हो तो उस स्थिति को बेरोजगारी कहा जाता है। यानी एक व्यक्ति जो किसी उत्पादकीय क्रिया में लाभकारी तौर पर कार्यरत नहीं है वह बेरोजगार हैं।
इसे हम इस तरीके से भी समझ सकते हैं कि प्रचलित मजदूरी की दरों पर कार्य करने के इच्छुक व्यक्ति को उनकी योग्यता के अनुसार कार्य नहीं मिलने पर वह बेरोजगार कहलाता है।
बेरोजगारी के प्रकार-
मोटे तौर पर हम बेरोजगारी को दो भागों में बांट सकते हैं स्थाई और अस्थाई।
बेरोजगारी के प्रकारों को निम्न अलग भागों में विभाजित किया जा सकता है-
1. मौसमी बेरोजगारी-इसमें व्यवसाय मौसम बदलने के साथ ही समाप्त हो जाते हैं यानी वर्ष के कुछ समय में ही काम प्राप्त होता है। जैसे कृषि तथा कृषि आधारित उद्योग।
2. संरचनात्मक बेरोजगारी-यह अर्थव्यवस्था की संरचना में परिवर्तन के कारण उत्पन्न बेरोजगारी होती है। यह तकनीकी उन्नति और आर्थिक विकास का नतीजा।
3. तकनीकी बेरोजगारी-उत्पादन के तकनीकी में सुधार तथा नवीन मशीनों के उपयोग के कारण उत्पन्न बेरोजगारी।
4. घर्षणात्मक बेरोजगारी-दो रोजगार अवधि ओं के मध्य उत्पन्न बेरोजगारी। जैसे कार्य बदलने, हड़ताल आदि से।
5. चक्रीय बेरोजगारी-समग्र मांग में कमी या व्यापार चक्रों के कारण उत्पन्न बेरोजगारी।
6. छिपी हुई या प्रच्छन्न बेरोजगारी-इसमें व्यक्ति रोजगार में सलंग्न तो दिखाई देता लेकिन कुल उत्पादन में उसका योगदान शून्य या नगण्य होता है।यह बेरोजगारी और विकसित देशों के ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि क्रियाओं में पाई जाती है।
विकासशील देशों में कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था होने के कारण संरचनात्मक एवं छिपी हुई बेरोजगारी पाई जाती है जबकि विकसित देशों में सामान्यता सक्रिय तथा रचनात्मक बेरोजगारी अधिक पाई जाती है।
भारत विकासशील देशों के अंतर्गत आता हैं।
बेरोजगारी के कारण-
बेरोजगारी की निरंतर बढ़ती हुई समस्या किसी भी देश की प्रगति, शांति, स्थिरता और उसके आर्थिक विकास आदि के लिए चुनौती बनती जा रही है । ऐसी चुनौती हमारे देश के सामने मुंह बाए खड़ी है जिसके निम्न कारण है-
1. रोजगारपरक शिक्षा एवं प्रशिक्षण का अभाव- भारतीय शिक्षा में रोजगारपरकता और कौशल प्रशिक्षण का अभाव होने के कारण शिक्षा बेरोजगारी को कम करने के बजाए बढ़ा रही है।
2. बढ़ती जनसंख्या एवं श्रम शक्ति-बढ़ती हुई जनसंख्या और श्रम शक्ति के कारण सरकार द्वारा रोजगार प्रदान करने की योजनाएं नाकाफी सिद्ध हो रही है इसके लिए रोजगार के अवसरों को तेजी से बढ़ाने की आवश्यकता है।
3. अनुपयुक्त तकनीकी-अत्याधुनिक तकनीकी भी भारत में बेरोजगारी के लिए उत्तरदाई है।
4. कृषि का पिछड़ापन-कृषि क्षेत्र का धीमा विकास विशाल जनसंख्या के लिए रोजगार के पर्याप्त अवसर पैदा नहीं कर पा रहा है।
5. रोजगार विहीन विकास- तेज आर्थिक विकास के साथ रोजगार के अवसरों में भी पर्याप्त वृद्धि होनी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।
6. राजनीतिक इच्छाशक्ति एवं व्यवस्थित नियोजन का अभाव- राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव के कारण बेरोजगारी निवारण के कार्यक्रमों में अत्यधिक रिसाव थे जिसका लाभ लक्षित व्यक्तियों तक नहीं पहुंच पाया।
7. नैतिक पतन- बेरोजगारी को बढ़ाने में लोगों का नैतिक पतन भी जिम्मेदार हैं जिसमें भ्रष्टाचार, लालफीताशाही, अनैतिक कार्य आदि से भी धन का संग्रह कुछ लोगों के हाथ में हो रहा है तथा सत भक्ति का अभाव भी प्रमुख रूप से जिम्मेदार है।
8. कोरोना महामारी- वर्तमान समय के अंदर कोरोना महामारी यानि कोविड-19 द्वारा संसार भर में आर्थिक गतिविधियां पूर्णरूपेण ठप हो चुकी है जिससे संसार भर में बेरोजगारी की दर बड़े पैमाने पर बढ़ रही है और लोगों के सामने भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो रही है यह समस्या अकेले अमेरिका के अंदर बेरोजगारी की दर वर्तमान में बढ़कर 15% तक पहुंच चुकी है जबकि भारत जैसे विकासशील देशों में यह आंकड़ा पहले से ही अधिक है इस कारण इसमें व्यापक बढ़ोतरी हुई है।
बेरोजगारी निवारण के उपाय:-
हाय
मैं हूं अशोक कुमार और आपका हमारे ब्लॉग कबीर क्लासेज 58 में स्वागत करता हूं।
आज हम वर्तमान समय की अत्यंत ज्वलंत समस्या बेरोजगारी के बारे में विचार विमर्श करेंगे।जिसके अंतर्गत बेरोजगारी का वर्तमान परिप्रेक्ष्य में निरूपण और इसके कारण प्रकार तथा इसके समाधान के विकल्पों का विस्तार पूर्ण विचार विमर्श करेंगे।
बेरोजगारी एक समस्या है |
प्रस्तावना:-
वर्तमान समय में बेरोजगारी की समस्या संसार भर में व्याप्त है और इससे लगभग सभी देश पीड़ित है यानी कोई भी देश ऐसा नहीं है जो इस समस्या से मुक्त हो चाहे वह विकसित देश हो या अविकसित देश ।
बेरोजगारी के विभिन्न कारणों से होती है जिससे विशेषकर युवा वर्ग घोर निराशा से ग्रसित हो जाता है। इस विकट समस्या का निराकरण करना वर्तमान समय की एक प्रमुख समस्या है।बेरोजगारी किसी भी देश के विकास में प्रमुख बाधाओं में से एक है, भारत में भी बेरोजगारी एक अत्यंत गंभीर मुद्दा है। बेरोजगारी आर्थिक विकास के साथ-साथ व्यक्तिगत और पूरे समाज पर एक साथ कई प्रकार के नकारात्मक प्रभाव डालती हैं।
जिसका विवेचन हम विभिन्न बिंदुओं के माध्यम से करेंगे।
बेरोजगारी का अर्थ-
कोई व्यक्ति कार्य के योग्य एवं इच्छुक हो, लेकिन रोजगार प्राप्त करने में असफल हो तो उस स्थिति को बेरोजगारी कहा जाता है। यानी एक व्यक्ति जो किसी उत्पादकीय क्रिया में लाभकारी तौर पर कार्यरत नहीं है वह बेरोजगार हैं।
इसे हम इस तरीके से भी समझ सकते हैं कि प्रचलित मजदूरी की दरों पर कार्य करने के इच्छुक व्यक्ति को उनकी योग्यता के अनुसार कार्य नहीं मिलने पर वह बेरोजगार कहलाता है।
berojgari ek samasya hai |
बेरोजगारी के प्रकार-
मोटे तौर पर हम बेरोजगारी को दो भागों में बांट सकते हैं स्थाई और अस्थाई।
बेरोजगारी के प्रकारों को निम्न अलग भागों में विभाजित किया जा सकता है-
1. मौसमी बेरोजगारी-इसमें व्यवसाय मौसम बदलने के साथ ही समाप्त हो जाते हैं यानी वर्ष के कुछ समय में ही काम प्राप्त होता है। जैसे कृषि तथा कृषि आधारित उद्योग।
2. संरचनात्मक बेरोजगारी-यह अर्थव्यवस्था की संरचना में परिवर्तन के कारण उत्पन्न बेरोजगारी होती है। यह तकनीकी उन्नति और आर्थिक विकास का नतीजा।
3. तकनीकी बेरोजगारी-उत्पादन के तकनीकी में सुधार तथा नवीन मशीनों के उपयोग के कारण उत्पन्न बेरोजगारी।
4. घर्षणात्मक बेरोजगारी-दो रोजगार अवधि ओं के मध्य उत्पन्न बेरोजगारी। जैसे कार्य बदलने, हड़ताल आदि से।
5. चक्रीय बेरोजगारी-समग्र मांग में कमी या व्यापार चक्रों के कारण उत्पन्न बेरोजगारी।
6. छिपी हुई या प्रच्छन्न बेरोजगारी-इसमें व्यक्ति रोजगार में सलंग्न तो दिखाई देता लेकिन कुल उत्पादन में उसका योगदान शून्य या नगण्य होता है।यह बेरोजगारी और विकसित देशों के ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि क्रियाओं में पाई जाती है।
विकासशील देशों में कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था होने के कारण संरचनात्मक एवं छिपी हुई बेरोजगारी पाई जाती है जबकि विकसित देशों में सामान्यता सक्रिय तथा रचनात्मक बेरोजगारी अधिक पाई जाती है।
भारत विकासशील देशों के अंतर्गत आता हैं।
बेरोजगारी के कारण-
बेरोजगारी की निरंतर बढ़ती हुई समस्या किसी भी देश की प्रगति, शांति, स्थिरता और उसके आर्थिक विकास आदि के लिए चुनौती बनती जा रही है । ऐसी चुनौती हमारे देश के सामने मुंह बाए खड़ी है जिसके निम्न कारण है-
1. रोजगारपरक शिक्षा एवं प्रशिक्षण का अभाव- भारतीय शिक्षा में रोजगारपरकता और कौशल प्रशिक्षण का अभाव होने के कारण शिक्षा बेरोजगारी को कम करने के बजाए बढ़ा रही है।
2. बढ़ती जनसंख्या एवं श्रम शक्ति-बढ़ती हुई जनसंख्या और श्रम शक्ति के कारण सरकार द्वारा रोजगार प्रदान करने की योजनाएं नाकाफी सिद्ध हो रही है इसके लिए रोजगार के अवसरों को तेजी से बढ़ाने की आवश्यकता है।
3. अनुपयुक्त तकनीकी-अत्याधुनिक तकनीकी भी भारत में बेरोजगारी के लिए उत्तरदाई है।
4. कृषि का पिछड़ापन-कृषि क्षेत्र का धीमा विकास विशाल जनसंख्या के लिए रोजगार के पर्याप्त अवसर पैदा नहीं कर पा रहा है।
5. रोजगार विहीन विकास- तेज आर्थिक विकास के साथ रोजगार के अवसरों में भी पर्याप्त वृद्धि होनी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।
6. राजनीतिक इच्छाशक्ति एवं व्यवस्थित नियोजन का अभाव- राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव के कारण बेरोजगारी निवारण के कार्यक्रमों में अत्यधिक रिसाव थे जिसका लाभ लक्षित व्यक्तियों तक नहीं पहुंच पाया।
7. नैतिक पतन- बेरोजगारी को बढ़ाने में लोगों का नैतिक पतन भी जिम्मेदार हैं जिसमें भ्रष्टाचार, लालफीताशाही, अनैतिक कार्य आदि से भी धन का संग्रह कुछ लोगों के हाथ में हो रहा है तथा सत भक्ति का अभाव भी प्रमुख रूप से जिम्मेदार है।
8. कोरोना महामारी- वर्तमान समय के अंदर कोरोना महामारी यानि कोविड-19 द्वारा संसार भर में आर्थिक गतिविधियां पूर्णरूपेण ठप हो चुकी है जिससे संसार भर में बेरोजगारी की दर बड़े पैमाने पर बढ़ रही है और लोगों के सामने भुखमरी की समस्या उत्पन्न हो रही है यह समस्या अकेले अमेरिका के अंदर बेरोजगारी की दर वर्तमान में बढ़कर 15% तक पहुंच चुकी है जबकि भारत जैसे विकासशील देशों में यह आंकड़ा पहले से ही अधिक है इस कारण इसमें व्यापक बढ़ोतरी हुई है।
unemployment a problem |
बेरोजगारी निवारण के उपाय:-
प्रत्येक समस्या का समाधान उसके कारणों से दृष्टिगत होता है जिन को दूर करके बेरोजगारी की समस्या का काफी हद तक निराकरण हो सकता है।
सरकार द्वारा निम्न उपाय करके बेरोजगारी में कमी की जा सकती है-
1. सरकार द्वारा मजदूरी एवं स्वरोजगार कार्यक्रमों का प्रभावी क्रियान्वयन।
2. शिक्षा को रोजगार पर बनाया जाए।
3. युवाओं के प्रशिक्षण और कौशल विकास की व्यवस्था हो।
4. विकास के साथ औद्योगिक वृद्धि दर को बढ़ाया जाए।
5. रोजगार संबंधी नीति बनाकर कुशल नियोजन की व्यवस्था की जाए।
6. सद्गुरु या तत्वदर्शी संत द्वारा बताए गए रास्ते पर चलकर के भी इसे दूर किया जा सकता है।
क्योंकि बेरोजगारी कई समस्याओं को जन्म देती है जैसे भ्रष्टाचार, आतंकवाद, अशांति, मुनाफाखोरी, उपद्रव, दंगे, चोरी, डकैती, अपहरण इत्यादि तथा युवा वर्ग दिग्भ्रमित हो रहा है बिना उचित मार्गदर्शन के । समाज भी विभिन्न बुराइयों से ग्रसित हो रहा है इन सभी बुराइयों का निराकरण तत्वदर्शी संत कर सकता है ऐसा कार्य वर्तमान समय में तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज बखूबी कर रहे हैं और वह ताल ठोक कर कह रहे हैं कि वर्तमान समय की इन सभी समस्याओं और महामारियों का इलाज तत्वज्ञान से कर सकते हैं।
संत रामपाल जी महाराज से ज्ञान प्राप्त लोगों द्वारा एक आदर्श समाज का निर्माण हो रहा है जिसमें भ्रष्टाचार, मुनाफाखोरी, दहेज प्रथा, बाल विवाह, कन्या वध, नशा, डाकन प्रथा जैसे विभिन्न बुराइयों, कुरीतियों और बाहरी आडंबर से दूर रहकर के पूर्ण परमात्मा की भक्ति द्वारा अपना जीवन सफल कर रहे हैं।
आप भी तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज की भक्ति प्राप्त करके अपना सांसारिक और आध्यात्मिक जीवन सफल कर सकते हैं तथा कष्टों और बीमारियों से बच सकते हैं।
अधिक जानकारी के लिए देखें साधना टीवी रोज रात्रि 7:30 से 8:30 तक।
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संत रामपाल जी महाराज जी ही इस महामारी से बचा
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Thanks
हटाएंगरीब पुर्व पश्चिम उत्तर दक्षिण क्यू फिरता दाणे दाणे नू। सर्व कला सतगुरु साहेब की हरि आए हरियाणे नू।।
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