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कन्या भ्रूण हत्या(female foeticide)

कन्या भ्रूण हत्या(female foeticide)

कन्या भ्रूण हत्या

हाय
नमस्कार, मित्रों मैं अशोक कुमार आपका मेरे ब्लॉग कबीर क्लासेस 58 में स्वागत करता हूं।
आज हम देखेंगे वर्तमान समय की एक अत्यंत दारूण्य समस्या कन्या भ्रूण हत्या के बारे में, जो वर्तमान समय में एक मानवीय संकट के रूप में और लोगों के नैतिक पतन को दृष्टिगत करती हैं।
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भूमिका:-
प्राचीन काल में स्त्री पुरुष को समान समझा जाता था उनमें कोई भेदभाव नहीं किया जाता था। पुरुष और स्त्रियों को समान रूप से शिक्षा, सामाजिक दायित्व, संपत्ति आदि में भागीदारी प्राप्त होती थी। गार्गी, लोपामुद्रा जैसी महिलाओं ने वैदिक ऋचाओं की रचना की थी। लेकिन समय के साथ-साथ लिंग आधारित भेदभाव बढ़ता गया और वर्तमान समय के अंदर समाज में स्त्रियों की स्थिति में बहुत ही गिरावट आई है यह हमारे लिए बेहद शर्मनाक बात है कि वर्तमान समय में कन्याओं को जन्म लेने से पहले ही गर्भ में मार दिया जाता है कि आधुनिक समय में समाज के लिए बहुत ही बड़ा अभिशाप है। यह सोचनीय बातें हैं कि वर्तमान मानव शिक्षित और अपने को सभ्य मानते हुए भी हत्यारा बन चुका है।
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कन्या भ्रूण हत्या

कन्या भ्रूण हत्या क्या है-
कन्या को जन्म देने से पहले ही अल्ट्रासाउंड तकनीक द्वारा लिंग जांच करके गर्भ के अंदर ही भ्रूण को समाप्त करना यानी गर्भ में मार देना या गर्भपात करवाना।
कन्या भ्रूण हत्या के कारण-
कन्या भ्रण हत्याप्राचीन समय से ही की जा रही है प्राचीन समय के अंदर बालिकाओं को जन्म के बाद अफीम देकर या अन्य किसी तरीके से उसकी हत्या कर दी जाती थी लेकिन यह हत्याएं केवल उच्च वर्ग के लोगों के अंदर ही थी निम्न वर्ग में ऐसी बीमारी व्याप्त नहीं थी लेकिन वर्तमान समय के अंदर बदली परिस्थितियों के अंदर कन्या को जन्म देने से पहले ही गर्भ में ही मार दिया जाता है इस के निम्न कारण है-
1. दहेज प्रथा-कन्या भ्रूण हत्या का सबसे बड़ा कारण दहेज प्रथा है जो प्राचीन समय से ही संपन्न परिवारों के अंदर कन्याओं की हत्या का प्रमुख कारण रही है और वर्तमान समय के अंदर शिक्षित समाज के अंदर दहेज़ का चलन दिनों दिन बढ़ता जा रहा है जिससे चिंतित माता-पिता कन्या को जन्म लेने से पहले ही गर्भ में मार देते।
2. लड़कियों को उपभोक्ता मानना- समाज में ऐसी मान्यता है कि लड़कियों उपभोक्ता होती है जबकि लड़के उत्पादक होते हैं लड़कियों को पराए घर का धन माना जाता है।
3. वंश वृद्धि- समाज में ऐसी धारणा है कि लड़का परिवार के नाम को आगे बढ़ाता है जबकि लड़कियां अपने पति के घर का नाम आगे बढ़ाती है।
4. समाज और परिवार में लड़के के जन्म को सम्मान की बात मानना, जबकि लड़कियों को बोझ समझा जाता है।
जिस कारण नई बहू पर भी लड़के के जन्म के लिए दबाव डाला जाता है और लड़की का जन्म होने पर उसे परेशान किया जाता है यहां तक कि घर से निकाल भी दिया जाता है।

कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के प्रयास-
1.सरकारी प्रयास-
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 312 के अनुसार जो कोई जानबूझकर महिला का गर्भपात कराता है उसे 7 साल की सजा दी जाएगी।
धारा 313 के अनुसार महिला की सहमति बिना गर्भपात कराना और धारा 314 के अनुसार गर्भपात की कोशिश के द्वारा महिला की मृत्यु या हत्या दंडनीय अपराध है।
गर्भ का चिकित्सीय समापन अधिनियम 1971 के अनुसार भ्रूण के लिंग के निर्धारण और प्रकटीकरण पर प्रतिबंध लगाया गया है तथा इसे दंडनीय अपराध घोषित किया गया।
दहेज निषेध अधिनियम 1961 के अनुसार दहेज के लेन-देन या उसके लेन-देन में सेव करने पर 5 वर्ष की कैद और 15000 जुर्माने का प्रावधान किया गया।
जनवरी 2015 में बालिकाओं का सिलेक्शन और सशक्तिकरण करने के लिए बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत की गई।
इसके अलावा सरकार ने वन स्टॉप सेंटर योजना महिला हेल्पलाइन योजना और महिला शक्ति केंद्र आदि द्वारा लिंगानुपात और लड़कियों के शैक्षिक नामांकन बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे।
2. गैर सरकारी प्रयास-विभिन्न गैर सरकारी संस्थाएं एनजीओ यूनिसेफ आदि भी कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चला रहे हैं।
विभिन्न गैर सरकारी संस्थाएं सामूहिक विवाह कार्यक्रम कन्या वंदना कार्यक्रम आदि के माध्यम से कन्या भ्रूण हत्या के बारे में जागरूकता पैदा करने का कार्य कर रही हैं।
संत रामपाल जी महाराज द्वारा किए गए प्रयास
वर्तमान समय में संत रामपाल जी महाराज समाज में फैली हुई विभिन्न कुरीतियों बाहरी आडंबर और को प्रथाओं के विरुद्ध लोगों को अपने तत्वज्ञान के माध्यम से जागृत कर रहे हैं और इन सभी समस्याओं को जड़ से खत्म कर रहे हैं अपने तत्वज्ञान के माध्यम से जिससे संकल्पित व्यक्ति कन्या भ्रण हत्या, दहेज प्रथा, लड़का लड़की में भेदभाव आदि को जड़ से समाप्त कर रहे हैं।

संत रामपाल जी महाराज 17 मिनट में रमैणी के माध्यम से बिना दहेज के लेनदेन से लड़की का विवाह संपन्न कर रहे हैं जिससे लड़की के माता-पिता को उसके विवाह की चिंता से मुक्ति प्राप्त होती है और वह लड़की को इस संसार में खुशी खुशी से आने देते हैं।
संत रामपाल जी महाराज अपने ज्ञान द्वारा अपने शिष्यों को लड़के लड़की में भेदभाव न करने और उनके समान रूप से परवरिश करने की शिक्षा प्रदान कर रहे हैं इस कारण उसके अन्याय लड़की के जन्म को बोझ नहीं मानकर परमात्मा का उपहार एवं कृपा मानते हैं।
सर्व समाज एवं लोगों से प्रार्थना है कि आप सभी संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान ग्रहण करके अपना कल्याण करवाएं और कुरीतियों आडंबर और इनके माध्यम से होने वाले पापों से स्वयं को बचाएं।
जगतगुरु तत्त्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से निःशुल्क नाम दीक्षा लेने के लिए कृपया यह फॉर्म भरें 

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