Proof Of Creation
नानक साहिब जी की वाणी में सृष्टि रचना का प्रमाण
सृष्टि की रचना किसने की इसके बारे में संसार भर में अलग-अलग मत प्रचलित हैं लेकिन आज हम प्रमाणों के साथ में जानेंगे कि सृष्टि का वास्तव में रचयिता कौन है उसका क्या नाम है और वह किन किन को मिले हैं।
नमस्कार मित्रों मैं हूं अशोक कुमार आपका मेरे ब्लॉग कबीर क्लासेज 58 में स्वागत है।
गुरु नानक की वाणी |
सृष्टि का वास्तविक रचयिता कबीर साहेब है जिसका प्रमाण विभिन्न संतो ने अपनी वाणी में दिया है वैसा ही प्रमाण नानक साहिब जी की वाणी में भी मिलता है जिसमें नानक साहिब जी बताते हैं कि वह कबीर परमात्मा एक दिन मुझे जिंदा बाबा के रूप में कई नदी के तट पर मिला और मुझे सतलोक लेकर गया और सारी सृष्टि की रचना से परिचित करवाया और कहा की सारी सृष्टि का रचनहार में ही हूं।
नानक जी अपनी वाणी के अंदर भी उस कबीर परमात्मा को सर्व सृष्टि का रचन हार बताते हैं।
श्री नानक साहेब जी की अमृतवाणी, महला 1, राग बिलावलु, अंश
1 (गु.ग्र. पृ. 839)
आपे सचु कीआ कर जोड़ि अंडज फोड़ीजोडि विछोड़।।
धरती आकाश कीए बैसण कउ थाउ। राति दिनंतु कीए भउ-भाउ।।
जिन कीए करि वेखणहारा। (3)
त्रितीआ ब्रह्मा-बिसनु-महेसा। देवी देव उपाए वेसा।। (4)
पउण पाणी अगनी बिसराउ। ताही निरंजन साचो नाउ।।
तिसु महि मनुआ रहिआ लिव लाई। प्रणवति नानकु कालु न खाई।। (10)
उपरोक्त अमृतवाणी का भावार्थ है कि सच्चे परमात्मा (सतपुरुष) ने स्वयं ही अपने हाथों से सर्व सृष्टि की रचना की है। उसी ने अण्डा बनाया फिर फोड़ा तथा उसमें से ज्योति निरंजन निकला। उसी पूर्ण परमात्मा ने सर्व प्राणियों के रहने के लिए धरती, आकाश, पवन, पानी आदि पाँच तत्व रचे। अपने द्वारा रची सृष्टि का स्वयं ही साक्षी है। दूसरा कोई सही जानकारी नहीं दे सकता। फिर अण्डे के फूटने से निकले निरंजन के बाद तीनों श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी तथा श्री शिव जी की उत्पत्ति हुई तथा अन्य देवी-देवता उत्पन्न हुए तथा अनगिन जीवों की उत्पत्ति हुई। उसके बाद अन्य देवों के जीवन चरित्र तथा अन्य ऋषियों के अनुभव के छः शास्त्र तथा अठारह पुराण बन गए। पूर्ण परमात्मा के सच्चे नाम (सत्यनाम) की साधना अनन्य मन से करने से तथा गुरु मर्यादा में रहने वाले (प्रणवति) को श्री नानक जी कह रहे हैं कि काल नहीं खाता।
गुरु नानक की वाणी हिंदी में |
श्री गुरु ग्रन्थ साहेब पृष्ठ नं. 721, राग तिलंग महला 1)
यक अर्ज गुफतम् पेश तो दर कून करतार।
हक्का कबीर करीम तू बेअब परवरदिगार।
नानक बुगोयद जन तुरा तेरे चाकरां पाखाक।
उपरोक्त अमृतवाणी में श्री सन्त नानक जी ने स्पष्ट कर दिया कि हे (हक्का कबीर) सत्कबीर आप (कून करतार) शब्द शक्ति से रचना करने वाले शब्द स्वरूपी प्रभु अर्थात् सर्व सृष्टि के रचन हार हो, आप ही (बेएब) निर्विकार (परवरदिगार) सर्व के पालन कर्ता दयालु प्रभु हो, मैं आपके दासों का भी दास हूँ।
श्री गुरु ग्रन्थ साहेब पृष्ठ नं. 24, राग सीरी महला 1
तेरा एक नाम तारे संसार, मैं ऐहा आस ऐहो आधार।
नानक नीच कहै बिचार, धाणक रूप रहा करतार।।
उपरोक्त अमृतवाणी में प्रमाण किया है कि जो काशी में धाणक (जुलाहा) है यही (करतार) कुल का सृजनहार है। अति आधीन होकर श्री नानक साहेब जी कह रहे हैं कि मैं सत् कह रहा हूँ कि यह धाणक कबीर जुलाहा ही पूर्ण ब्रह्म (सतपुरुष) है।
यानी वह समरथ परमात्मा कबीर हैं जिसकी भक्ति विधि संत रामपाल जी महाराज प्रदान कर रहे हैं सभी उनसे सद्भक्ति ग्रहण करके अपना मानव जीवन धन्य करें। अधिक जानकारी के लिए देखें साधना टीवी रोज रात्रि 7:30 बजे से।
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