परमेश्वर कबीर साहिब जी चारों युगों में आते हैं (God kabir comes in four yugas)
परमेश्वर कबीर साहिब जी चारों युगों में आते हैं
नमस्कार दोस्तों मैं हूं, अशोक कुमार
आज हम परमेश्वर कबीर साहिब के बारे में चर्चा करेंगे जो चारों युगों में इस धरती पर चलकर आते हैं और अपनी प्यारी आत्माओं से मिलकर उन्हें अपने वास्तविक ज्ञान तथा अपने वास्तविक लोक सतलोक से परिचित करवाते हैं और वास्तविक भक्ति विधि प्रदान करते हैं जिससे जन्म मरण का दीर्घ रोग समाप्त होता है।
परमेश्वरकबीर साहिब जी चारों युगों में नामांतर करके शिशु रूप में प्रकट होते हैं और एक-एक शिष्य बनाते हैं जिससे कबीर पंथ का प्रचार होता है।
सतयुग - सहते जी
त्रेता - बंके जी
द्वापर - चतुर्भुज जी
कलियुग - धर्मदास जी
परमेश्वर कबीर साहिब जी चारों युगों में आते हैं |
1. परमात्मा कबीर जी सतयुग में सत सुकृत नाम से प्रकट हुए थे। उस समय अपनी एक प्यारी आत्मा सहते जी को अपना शिष्य बनाया ओर अमृत ज्ञान समझाकर सतलोक का वासी बनाया।
सतयुग |
2. त्रेता युग में परमात्मा कबीर मुनींद्र नाम से आए थे उस समय एक लीलामय तरीके से बंके नाम की एक प्यारी आत्मा को अपनी शरण में लिया,सत्य ज्ञान समझाया ओर पार किया।
ऐसे पूर्ण परमात्मा की भक्ति ग्रहण करनी चाहिए।
त्रेतायुग |
3. द्वापर युग में कबीर परमेश्वर की दया से पांडवों का अश्वमेध यज्ञ संपन्न हुआ।
पांडवों की अश्वमेघ यज्ञ में अनेक ऋषि, महर्षि, मंडलेश्वर उपस्थित थे यहां तक कि भगवान कृष्ण भी उपस्थित थे फिर भी उनका शंख नहीं बजा।
कबीर परमेश्वर ने सुदर्शन सुपच वाल्मीकि के रूप में शंख बजाया और पांडवों का यज्ञ संपन्न किया।
गरीबदास जी महाराज की वाणी में इसका प्रमाण है
"गरीब सुपच रुप धरि आईया, सतगुरु पुरुष कबीर, तीन लोक की मेदनी, सुर नर मुनि जन भीर"
द्वापर युग |
4. कलयुग में कबीर परमेश्वर अपने वास्तविक नाम कबीर रूप में काशी नगरी में लहरतारा तालाब में कमल के पुष्प पर अवतरित हुए।
कलयुग में निसंतान दंपति नीरू और नीमा ने उनका पालन पोषण किया।
120 वर्ष तक अपने तत्वज्ञान से लोगों को परिचित करवाया।
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