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Ncert Class 10 history chapter 1 questions and answers in hindi

Ncert Class 10 history chapter 1 questions and answers in hindi

 Ncert Class 10 history chapter 1 questions and answers in hindi 



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एनसीईआरटी कक्षा 10 इतिहास चैप्टर 1
     यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय

प्रश्न 1. निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखें-
(क) ज्युसेपे मेत्सिनी
(ख) काउंट कैमिलो दे कावूर
(ग) यूनानी स्वतंत्रता युद्ध
(घ) फ्रैंकफर्ट संसद
(ङ) राष्ट्रवादी संघर्षो में महिलाओं की भूमिका

उत्तर- (क) ज्युसेपे मेत्सिनी-
१. वह इटली का एक युवा क्रांतिकारी था।
२. वह उदारवादी राष्ट्रवादी राज्य के विचार से बेहद प्रभावित था।
३. वह 19 वी सदी के दौरान इटली पर शासन करने वाले विभिन्न राज तंत्रों को उखाड़ फेंकने के उद्देश्य से गुप्त क्रांतिकारी संगठनों के साथ जुड़ गया।
४. मेत्सिनी ने मार्सेई में यंग इटली और बर्न में यंग यूरोप नामक गुप्त संगठनों की स्थापना की। साथ ही उसने पोलैंड, फ्रांस, इटली और जर्मन राज्यों के समान विचार रखने वाले युवाओं को अपना मित्र बनाया।
५. 1831 में इटली के एकीकरण के लिए लिगुरिया में एक विद्रोह का नेतृत्व किया परंतु असफल हुआ और निर्वासित कर दिया गया।

परंतु मेत्सिनी के विचार ने कावूर को प्रोत्साहित किया जिससे अंततः इटली का एकीकरण संभव हुआ।

(ख) काउंट कैमिलो दे कावूर-
१. यह इटली के सार्डीनिया-पीडमांट राज्य का प्रमुख मंत्री था।
२. उसने इटली के विभिन्न क्षेत्रों के एकीकरण के लिए आंदोलन का नेतृत्व किया।
३. यह न तो क्रांतिकारी था न डेमोक्रेट।
४. इतालवी जातीय समूह के अनेक अन्य धनी और शिक्षित सदस्यों की भांति वह इतालवी की अपेक्षा फ्रेंच भाषा को अधिक बेहतर ढंग से बोलता था।
५. फ्रांस से एक चतुर कूटनीतिज्ञ संधि करके 1859 में ऑस्ट्रिया को पराजित किया।
६. उसने गैरीबाल्डी और स्थानीय किसानों तथा प्रशा आदि के सहयोग से इटली का एकीकरण संपूर्ण किया।

(ग) यूनानी स्वतंत्रता युद्ध- 
 १. 15 वीं सदी से यूनान पर ऑटोमन साम्राज्य का शासन था।
२. यूरोप में क्रांतिकारी राष्ट्रवाद की प्रगति से यूनान की आजादी का संघर्ष 1821 में प्रारंभ हुआ।
३. यूनान वासियों को पश्चिमी यूरोपीय देशों के साथ-साथ अन्य यूरोपीय देशों में रहने वाले यूनानीयों का भी समर्थन हासिल हुआ।

४. यूनान के स्वतंत्रता संग्राम में रूमानीवाद को जोड़कर कवि और कलाकारों ने भी ऑटोमन साम्राज्य के विरुद्ध संघर्ष में हिस्सा लिया। ऐसा ही एक कवि इंग्लैंड का लोर्ड बॉयरन था।
५. अंततः 1832 की कुस्तुनतुनिया की संधि ने यूनान को एक स्वतंत्र राष्ट्र की मान्यता दी।
(घ) फ्रैंकफर्ट संसद-
१. जर्मनी के मध्यम वर्ग में 1848 में सर्व-जर्मन नेशनल असेंबली के पक्ष में मतदान का फैसला लिया और फ्रैंकफर्ट आ गए।
२. लगभग 831 निर्वाचित प्रतिनिधियों की संसद फ्रैंकफर्ट के सेंट पॉल चर्च में 18 मई 1848 को आयोजित हुई।
३. इस संसद ने एक जर्मन राष्ट्र के लिए एक संविधान का प्रारूप तैयार किया। जिसकी अध्यक्षता एक ऐसे राजा को सौंपी गई जिसे संसद के अधीन रहना था। हालांकि प्रशा के राजा ने इस पेशकश को अस्वीकार कर दिया। इससे कुलीन वर्ग और सेना का विरोध बढ़ता गया।
४. संसद में मध्यम वर्गों का प्रभुत्व अधिक था जिनके द्वारा मजदूरों और कारीगरों की मांगों का विरोध किया जिससे इसने अपना सामाजिक आधार खो दिया।
५. इस प्रकार सेना और राजशाही ने मिलकर उदारवादी मध्यमवर्ग को पराजित कर दिया। तथा असेंबली को भंग कर दिया। जो उदारवाद की असफलता और राजशाही की जीत थी।
(ङ) राष्ट्रवादी संघर्षो में महिलाओं की भूमिका- 
१. महिलाओं ने राष्ट्रवादी आंदोलन में वर्षों से बड़ी संख्या में सक्रिय रूप से भाग लिया था।
२. महिलाओं ने आंदोलन का नेतृत्व किया, पुलिस और सेना का सामना किया, अपने पुरुष साथियों के कंधे से कंधा मिलाया और यूरोप के ग्रामीण तथा शहरी इलाकों में उदारवादी राष्ट्रवाद की विचारधारा का प्रचार प्रचार किया।
३. महिलाओं में तीव्र असंतोष था कि उन्हें राष्ट्रवादी संघर्ष में सक्रिय योगदान के बावजूद भी मताधिकार एवं राजनीतिक अधिकारों से वंचित रखा गया।
प्रश्न 2. फ्रांसीसी लोगों के बीच सामूहिक पहचान का भाव पैदा करने के लिए फ्रांसीसी क्रांतिकारियों ने क्या कदम उठाए?
उत्तर- फ्रांसीसी लोगों के बीच सामूहिक पहचान का भाव पैदा करने के लिए फ्रांसीसी क्रांतिकारियों ने निम्नलिखित कदम उठाएं-
१. उन्होंने पितृभूमि और नागरिक जैसे विचारों पर बल दिया जिससे एक संविधान के अंतर्गत समान अधिकार प्राप्त थे।
२. एक नया फ्रांसीसी झंडा तिरंगा चुना गया, जिसने पहले के राष्ट्रध्वज की जगह ले ली।
३. स्टेटस जनरल का चुनाव सक्रिय नागरिकों के समूह द्वारा किया जाने लगा और उसका नाम बदलकर नेशनल असेंबली कर दिया गया।
४. राष्ट्र के नाम पर नई स्तुतियां रची गई, शपथें लीं, शहीदों का गुणगान हुआ।
५. एक केंद्रीय प्रशासनिक व्यवस्था के अंतर्गत अपने भूभाग में रहने वाले सभी नागरिकों के लिए समान कानून बनाए।
६. आंतरिक आयात-निर्यात शुल्क समाप्त कर दिए गए और भार तथा नापने की एक समान व्यवस्था लागू की।
७. क्षेत्रीय बोलियों के स्थान पर पेरिस की फ्रेंच बोली को प्रोत्साहित किया गया जो राष्ट्र की साझा भाषा बन गई।
प्रश्न 3. मारियाना और जर्मेनिया कौन थे? जिस तरह उन्हें चित्रित किया गया उसका क्या महत्व था?
उत्तर- मारियाना- यह फ्रांसीसी क्रांति के स्वतंत्रता, न्याय और गणतंत्र जैसे विचारों को व्यक्त करने वाला नारी रूपक था।
जर्मेनिया- यह जर्मन राष्ट्र का नारी रूपक था। जिसका मुकुट बलूय वृक्ष के पत्तों का था।
महत्व- 
१. इन्हें इस प्रकार चित्रित किया गया था कि वह राष्ट्र राज्य के विचार को प्रदर्शित करते थे।
२. 18वीं और 19वीं सदी में कलाकारों ने राष्ट्र का मानवीकरण किया और एक देश को कुछ यूं चित्रित किया जैसे वह कोई व्यक्ति हो।
३. राष्ट्र को व्यक्ति का जामा पहनाने हुए नारी रूप को चुना जो राष्ट्र के अमूर्त विचारों को को ठोस रूप प्रदान करने का प्रयास था अर्थार्थ नारी की छवि राष्ट्र का रूपक बन गई।
४. उन्होंने राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया।
प्रश्न 4. जर्मन एकीकरण की प्रक्रिया का संक्षेप में पता लगाएं।
उत्तर- 
१. जर्मन संघ के उदारवादी मध्यमवर्ग 1848 में फ्रैंकफर्ट संसद में मिले उनका उद्देश्य था, जर्मनी को एक राष्ट्र बनाना। लेकिन उनकी योजना असफल हो गई।
२. राजशाही,सेना और अभिजात लोगों ने मिलकर फ्रैंकफर्ट संसद को कुचल दिया।
३. प्रशा के प्रमुख मंत्री ऑटो वॉन बिस्मार्क ने जर्मन संघ के एकीकरण के लिए एक आंदोलन का नेतृत्व किया।
४. बिस्मार्क में सैन्य युद्धों का संचालन किया और जर्मन राज्यों पर काबिज अन्य देशों के विरुद्ध नौकरशाही की मदद ली।
५. 7 साल के दौरान उसने ऑस्ट्रिया, डेनमार्क और फ्रांस से तीन युद्ध लड़े और उन में जीत हासिल की इस प्रकार जर्मनी की एकीकरण प्रक्रिया पूरी हुई।
६. जनवरी 1871 में वर्साय में हुए एक समारोह में प्रशा के राजा विलियम प्रथम को जर्मनी का सम्राट घोषित किया गया।
प्रश्न 5. अपने शासन वाले क्षेत्रों में शासन व्यवस्था को ज्यादा कुशल बनाने के लिए नेपोलियन ने क्या बदलाव किए?
उत्तर- अपने शासन वाले क्षेत्रों में शासन व्यवस्था को ज्यादा कुशल बनाने के लिए नेपोलियन ने निम्न बदलाव किए-
१. उसने प्रशासनिक तंत्र को अधिक तर्कसंगत और कुशल बनाया।
२. उसने 1804 में नागरिक संहिता बनाई जिसने जन्म पर आधारित विशेषाधिकार समाप्त कर दिए थे।
३. उसने कानून के समक्ष बराबरी और संपत्ति के अधिकार को सुरक्षित बनाया।
४. उसने प्रशासनिक विभाजनों को सरल बनाया, सामंती व्यवस्था को खत्म किया और किसानों को भु-दासत्त्व और जागीरदारी शुल्क से मुक्ति दिलवाई।
५. शहरों में भी कारीगरों के श्रेणी संघों के नियंत्रण को हटा दिया। यातायात और संचार व्यवस्थाओं को सुधारा गया।
६. किसानों, कारीगरों,मजदूरों और नए उद्योगपतियों ने नयी-नयी मिली आजादी चखी।


चर्चा करें
प्रश्न 1. उदारवादियों की 1848 की क्रांति का क्या अर्थ लगाया जाता है? उदारवादियों ने किन राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक विचारों को बढ़ावा दिया?
उत्तर- उदार वादियों की 1848 की क्रांति का अर्थ लगाया जाता है कि वह स्वतंत्र राष्ट्र राज्य की स्थापना करना चाहते थे, जहां क्रांति की स्वतंत्रता और सभी लोगों के लिए समान कानून और स्वतंत्रता हो।
उदार वादियों ने जिन राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक विचारों को बढ़ावा दिया वे निम्नलिखित है—
# राजनीतिक विचार—
१. राजतंत्र का अंत करके गणतंत्र की स्थापना की गई।
२. सार्वजनिक मताधिकार के आधार पर निर्मित जनप्रतिनिधि सभाओं के निर्माण के प्रयास प्रारंभ हुए।
३. जर्मनी, इटली, पोलैंड, ऑस्ट्रो-हंगेरियन साम्राज्य में उदारवादी मध्यम वर्गों के स्त्री-पुरुषों ने संविधानवाद की मांग को राष्ट्रीय एकीकरण की मांग के साथ जोड़ा।
४. निरंकुश शासन और पादरी वर्ग के विशेष अधिकारों की समाप्ति।
५. महिलाओं को राजनीतिक मताधिकार दिए जाने की मांग की जाने लगी।
# सामाजिक विचार-
१. महिलाओं को पुरुषों के समान दर्जा दिया जाने लगा तथा उनकी सभी क्षेत्रों में भागीदारी को महत्व व सम्मान की दृष्टि से देखा जाने लगा।
२. कुलीन वर्ग की अपेक्षा मध्यम वर्ग के सभी क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी जिससे कुलीन वर्ग की श्रेष्ठता कम हुई।
३. किसी राज्य के सभी नागरिकों को सामाजिक समानता प्रदान करना उदार वादियों की महत्वपूर्ण प्राथमिकता थी।
# आर्थिक विचार-
१. उदारवादी बाजारों की मुक्ति के पक्षधर थे। वे चीजों और पूंजी के आवागमन पर राज्यों द्वारा लगाए गए नियंत्रण को खत्म करने के पक्ष में थे।
२. भू-दासता और बंधुआ मजदूरी का अंत किया।
३. मजदूरों और कारीगरों ने अपनी मांगों के लिए प्रदर्शन व आंदोलन का मार्ग अपनाया।
प्रश्न 2. यूरोप में राष्ट्रवाद के विकास में संस्कृति के योगदान को दर्शाने के लिए तीन उदाहरण दें।
उत्तर- राष्ट्रवाद के विकास में नवीन परिस्थितियों जैसे युद्ध, क्षेत्रीय विस्तार, शिक्षा आदि का जितना योगदान रहा है, उतना ही योगदान संस्कृति का रहा है। राष्ट्रवाद के विकास में सांस्कृतिक जुड़ाव को रूमानी वाद नाम दिया गया। इसके तीन उदाहरण निम्न है-
१. लोक संस्कृति— जर्मन दार्शनिक योहाना गॉटफ्रिड हरडर ने दावा किया कि रूमानी जर्मन संस्कृति उसके आम लोगों(das volk) में निहित थी। उसने लोक संगीत, लोग काव्य और लोक नृत्यों के माध्यम से जर्मन राष्ट्र की भावना को प्रचारित-प्रसारित किया।
२. भाषा- पोलैंड में राष्ट्रवाद के विकास में भाषा ने एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। पोलैंड के रूस के कब्जे वाले हिस्सों में पोलिस भाषा प्रतिबंधित थी।
जब पादरियों ने रूसी बोलने से इंकार कर दिया तो उन्हें सजा दी गई, इस प्रकार पोलिस भाषा रूसी प्रभुत्व के विरुद्ध संघर्ष के प्रतीक के रूप में देखी जाने लगी।
३. संगीत- कैरोल किसकी, एक पोलिश नागरिक ने राष्ट्रीय संघर्ष का अपने ओपेरा और संगीत में गुणगान किया और पोलेनेस और माजुरका जैसे लोक नृत्यों को राष्ट्रीय प्रतीकों में बदल दिया।
प्रश्न 3. किन्हीं दो देशों पर ध्यान केंद्रित करते हुए बताएं की 19वीं सदी में राष्ट्र किस प्रकार विकसित हुए।
उत्तर- 19वीं शताब्दी में लगभग पूरे यूरोप में राष्ट्रीयता का विकास हुआ जिस कारण राष्ट्र राज्यों का उदय हुआ। इनमें बेल्जियम व पोलैंड भी ऐसे ही देश थे।
वियना कांग्रेस द्वारा बेल्जियम और पोलैंड को मनमाने तरीके से अन्य देशों के साथ जोड़ दिया गया। जिनका आधार यूरोपीय सरकारों की यह रूढ़िवादी विचारधारा थी कि राज्य व समाज की स्थापित पारंपरिक संस्थाएं जैसे राजतंत्र, चर्च, सामाजिक ऊंच-नीच, संपत्ति और परिवार बने रहने चाहिए। इसका बेल्जियम व पोलैंड ने विरोध किया।
१. बेल्जियम- वियना कांग्रेस द्वारा बेल्जियम को हॉलैंड के साथ मिला दिया गया। परंतु दोनों देशों में ईसाई धर्म के कटर विरोधी अनुयाई रहते थे। जहां बेल्जियम में कैथोलिक थे वहां पोलैंड में प्रोटेस्टेंट। पोलैंड का शासक भी पोलैंड वासियों को बेल्जियम वासियों से श्रेष्ठ मानता था। अतः इस रिश्ता को बनाए रखने के लिए उसने सभी स्कूलों में प्रोटेस्टेंट धर्म की शिक्षा देने की राज आज्ञा जारी की। जिसका बेल्जियम वासियों ने कड़ा विरोध किया, इसमें इंग्लैंड ने भी उसका साथ दिया जिस कारण पोलैंड को बेल्जियम को 1830 में स्वतंत्र करना पड़ा। बाद में यहां पर इंग्लैंड जैसे संवैधानिक व्यवस्था कायम हुई।
२. पोलैंड- वियना संधि द्वारा पोलैंड को दो भागों में बांटा गया और इसका बड़ा भाग रूस को इनाम के तौर पर दे दिया। परंतु जब वहां के लोगों में राष्ट्रीय भावना का विकास हुआ तो 1848 में पोलैंड में, वारसा में क्रांति प्रारंभ हुई। इससे रूसी सेना ने कठोरता से दबा दिया। परंतु राष्ट्र वासियों ने हार नहीं मानी और दुबारा विद्रोह किया जिसमें उन्हें सफलता मिली।
प्रश्न 4. ब्रिटेन में राष्ट्रवाद का विकास शेष यूरोप की तुलना में किस प्रकार भी भिन्न था?
उत्तर- ब्रिटेन में राष्ट्रवाद का इतिहास यूरोप की तुलना में निम्न प्रकार से भी भिन्न था—
१. यूरोप में राष्ट्रवाद शक्तिशाली क्रांतियों, युद्ध और सैन्य अभियानों के फल स्वरुप विकसित हुआ। लेकिन ब्रिटेन में राष्ट्रवाद के लिए कोई युद्ध नहीं लड़ा गया। आंग्ल राष्ट्र ने अपनी धन दौलत, अहमियत और सत्ता के बल पर अन्य दीप समूह के राष्ट्र वेल्स, स्कॉट या आयरिश पर अपना प्रभाव स्थापित करना प्रारंभ किया।
२. 1688 ई. में एक लंबे संघर्ष के माध्यम से राजतंत्र की समस्त शक्ति आंग्ल संसद के अधीन आ गई और एक राष्ट्र का निर्माण किया गया जिसका केंद्र इंग्लैंड था।
३. इंग्लैंड और स्कॉटलैंड के बीच एक्ट ऑफ यूनियन 1707 ईस्वी में हुआ जिसके द्वारा यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन का गठन किया गया। इसी के माध्यम से स्कॉटलैंड पर इंग्लैंड का प्रभुत्व स्थापित हो गया।
४. स्कॉटलैंड में ब्रितानी पहचान का विकास करने के लिए यहां की संस्कृति व राजनीतिक संस्थाओं को योजनाबद्ध तरीके से नष्ट किया गया। जैसे स्कॉटिश हाइलैंड के वासियों को उनकी गैलिक भाषा बोलने और राष्ट्रीय पोशाक पहनने से रोका गया। इस कारण मजबूर होकर लोगों को अपना देश छोड़कर अन्य जगहों पर जाना पड़ा।
५. आयरलैंड में अंग्रेजों ने धार्मिक मतभेद को हथियार बनाया। अंग्रेजों ने प्रोटेस्टेंटों की मदद करके कैथोलिकों को दबाया ताकि उनका प्रभुत्व स्थापित हो जाए।
६. 1798 ई. में वॉल्फ टोन और उसकी यूनाइटेड आयरिशमेन के नेतृत्व में जो विद्रोह हुआ उसे दबा दिया गया और आयरलैंड को यूनाइटेड किंगडम का भाग बना लिया गया।
७. ब्रितानी राष्ट्र का निर्माण करके इसके राष्ट्रीय प्रतीकों- यूनियन जेंक(ब्रिटेन का झंडा) और गॉड सेव आवर नोबल किंग (राष्ट्रीय गान)को संपूर्ण यूनाइटेड किंगडम में प्रचारित प्रसारित किया गया।
प्रश्न 5. बाल्कन प्रदेशों में राष्ट्रवादी तनाव क्यों पनपा?
उत्तर- निम्न कारणों से बाल्कन प्रदेशों में राष्ट्रवादी तनाव पनपा- 1871 ईस्वी के बाद बाल्कन क्षेत्र में राष्ट्रवाद का उदय हुआ।
१. बाल्कन प्रदेशों की अपनी भौगोलिक व जातीय भिन्नता थी। यहां अनेक जातीय समूह निवास करते थे।
२. बाल्कन क्षेत्र पर ओटोमन साम्राज्य का आधिपत्य था जबकि इस क्षेत्र में आधुनिक यूनान, रोमानिया, बुल्गारिया, अल्बेरिया, मेसिडोनिया, क्रोएशिया, bosnia-herzegovina, स्लोवेनिया, सर्बिया, मोंटेनीग्रो आदि देश थे जहां पर स्लाव भाषा बोलने वाले लोग रहते थे यह सभी तुर्को से भिन्न थे।
३. तुर्कों और इन ईसाई पर जातियों के बीच मतभेदों के कारण यहां पर हालात भयंकर हो गए। स्लाव-बाल्कन के जातीय समूह भी उदारवादी और राष्ट्रवादी विचारों से प्रभावित होकर व्यक्तिगत राष्ट्र राज्य की मांग करने लगे।
४. वे सभी अपने लिए ज्यादा से ज्यादा इलाका हथियाना चाहते थे। इस कारण इन राज्यों में आपसी प्रतिस्पर्धा और हथियारों की होड़ लग गई जिसने स्थिति को और गंभीर बना दिया।
५. यूरोपीय देश (रूस, जर्मनी, इंग्लैंड, ऑस्ट्रिया, हंगरी) भी इन क्षेत्रों पर अपना नियंत्रण स्थापित करना चाहते थे ताकि काला सागर से होने वाले व्यापार और व्यापारिक मार्ग पर उनका नियंत्रण हो। यानी यह शक्तियां बाल्कन क्षेत्र पर अन्य शक्तियों की पकड़ को कमजोर करके अपना प्रभाव बढ़ाना चाहती थी।
६. बाल्कन क्षेत्र के जल क्षेत्र पर नियंत्रण करके इन्होंने यूरोप में नौसैनिक प्रभुत्व स्थापित करने की भी योजना बनाई।
उपरोक्त कारणों से इस क्षेत्र में यूरोपीय देशों और इन राज्यों में आपस में कई युद्ध हुए, जिसका अंतिम परिणाम प्रथम विश्व युद्ध के रूप में सामने आया।

परियोजना कार्य
प्रश्न 1. यूरोप से बाहर के देशों में राष्ट्रवादी प्रतीकों के बारे में जानकारियां इकट्ठा करें। एक या दो देशों के विषय में ऐसी तस्वीरें, पोस्टर और संगीत इकट्ठा करें जो राष्ट्रवाद के प्रतीक थे। वे यूरोप में राष्ट्रवाद के प्रतीकों से भिन्न कैसे हैं? 
उत्तर- यह सभी चित्र भारत के राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान राष्ट्रीय प्रतीक थे।
१. चित्र 1 में बाल गंगाधर तिलक को विभिन्न धर्मों के पवित्र स्थानों के मध्य खड़ा किया गया है। तिलक एकता के प्रतीकों से गिरे हुए। चित्र के चारों और विभिन्न धर्मों के पवित्र स्थान (मंदिर, चर्च, मस्जिद) चित्रित किए गए हैं। यानी धार्मिक एकता या जुड़ाव को दर्शाया गया है ना कि अलग अलग किया गया। 
२. चित्र 2 में भारत माता शिक्षा, भोजन और कपड़े दे रही है। एक हाथ में माला उसके सन्यासी गुण को रेखांकित करती हैं। जर्मेनिका की तरह केवल वीरता के प्रतीक के रूप में चित्र नहीं किया गया है।
३. चित्र 3 में नेहरू जी को भारत माता व भारत के नक्शे को हृदय के पास रखे दिखाया गया है। यह इस बात का प्रतीक है कि इन प्रतीकों द्वारा लोगों की भावनाओं को जागृत करने के साथ उन्हें हृदय से स्वीकार करते हुए दिखाया गया है ताकि वे मां के लिए हर प्रकार के बलिदान के लिए भी तैयार हो जाए।
४. चित्र 1 और चित्र 3 में रूपको की बजाएं लोकप्रिय नेताओं को राष्ट्रीय प्रतीकों से जोड़ा गया है ताकि अधिक से अधिक लोग उनकी ओर आकर्षित हो तथा उनमें राष्ट्रवाद की भावना जगे, आम जनता इन्हें अपना आदर्श मानती थी।
५. चित्र 4 में भारत माता को लक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा के रूप में दर्शाया गया है। जिसके हाथों में त्रिशूल है और वह हाथी वह शेर के बीच खड़ी है। यह दोनों ही शक्ति और सत्ता के प्रतीक हैं। यह चित्र भी यूरोपीय प्रतीकों से भिन्न है क्योंकि इसमें आध्यात्मिकता के गुण को आधार बनाकर विजय प्राप्त करने की आकांक्षा की गई है।
Bal Gangadhar Tilak
चित्र 1. बाल गंगाधर तिलक
       

Bharat Mata
 चित्र 2. भारत माता


Pandit Jawaharlal Nehru
चित्र 3. पंडित जवाहरलाल नेहरू 


 
Indian Mother
चित्र 4. भारत माता



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